केंद्र सरकार सरकार देशभर में मक्का फसल को दे रही बढ़ावा
हलधर किसान, नई दिल्ली। केंद्र सरकार पेट्रोल.डीजल का आयात घटाने के लिए इथेनॉल को लगातार बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। अभी इथेनॉल के उत्पादन के लिए ज्यादातर गन्ने का इस्तेमाल होता है। लेकिन, अगर इथेनॉल के प्रोडक्शन को बड़े पैमाने पर बढ़ाया गया, तो गन्ने की सप्लाई का मसला आ सकता है।
इथेनॉल का उत्पादन धान, गन्ने और मक्का से होता है। इसमें से धान और गन्ना अधिक पानी लेने वाली फसलें हैं। जबकि, मक्के के लिए कम पानी चाहिए होता है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में गन्ने की जगह मक्के से इथेनॉल बनाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। इसके लिए अगले चार साल में मक्के का रकबा दो लाख हेक्टेयर बढ़ाने की तैयारी है। इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए कृषि विभाग और चीनी मिलों के बीच दो दौर की बैठक भी हो चुकी है।
मक्का की फसल खरीफ जायद और रबी तीनों सीजन में लगाई जाती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए मक्का से इथेनॉल बनाने की तैयारी की जा रही है। प्रदेश सरकार ने भी त्वरित मक्का विकास योजना के तहत वर्ष 2024.25 में 27.68 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
राज्य में करीब 8.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मक्का लगाया जाता है। इससे करीब 21.16 लाख मीट्रिक टन मक्का उत्पादन होता है। अब मक्के का रकबा चार साल में दो लाख हेक्टेयर बढ़ाने की योजना है। वहीं मक्का उत्पादन 11 लाख मीट्रिक टन बढ़ाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में मक्का का रकबा चिन्हित किया जाएगा।
प्रदेश के कृषि निदेशक जितेंद्र सिंह तोमर के अनुसार मक्के से इथेनॉल उत्पादन के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। खरीफ सीजन में अब तक करीब 90 फीसदी मक्के की बुवाई हो गई है। मक्के की फसल आने तक इथेनॉल के लिए खरीद शुरू कराने की तैयारी है। चीनी मिल संचालकों से भी इसे लेकर बातचीत हो चुकी है।
किसान मक्का की खेती के लिए प्रेरित हों इसके लिए अनुदान से लेकर प्रशिक्षण तक विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। संयुक्त निदेशक आरके सिंह बताते हैं, मक्के में करीब 28 से 30 फीसदी नमी होती है। इस वजह से कटाई के बाद इसमें फंगस लगने का डर रहता है। किसानों को इस समस्या से बचाने के लिए 15 लाख के ड्रायर पर 12 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। कोई भी किसान उत्पादक संगठन एफपीओ इसे अनुदान पर खरीद सकेगा।
अनुदान के साथ मिलेंगी सुविधाएं –
पॉपकॉर्न की मशीन पर भी 10 हजार रुपये अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह अन्य उपकरणों पर भी अनुदान की व्यवस्था रखी गई है। किसानों को मक्का अनुसंधान संस्थान में प्रशिक्षण दिलानेए संकर बीज उपलब्ध कराने, नई तकनीक से रुबरू कराने का भी काम किया जाएगा।
होंगे यह फायदे –
प्रदेश में अभी 15 कंपनियां इथेनॉल उत्पादन कर रही हैं। इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। इन कंपनियों को सहकारी एजेंसियों से तय दर पर मक्का आपूर्ति होगी। ऐसा करने से कई फायदे होंगे। इथेनॉल उत्पादन बढ़ेगा, किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा, गन्ने की जगह मक्का से इथेनॉल बनने पर चीनी उत्पादन में भी कमी नहीं आएगी।
केंद्र सरकार ने इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि नामक परियोजना शुरू की है। इसके लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत 15 राज्यों को चुना गया है। इस योजना का संचालन भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान कर रहा है।
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