हलधर किसान। देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान में वनों पर संयुक्त राष्ट्र मंच . भारत द्वारा देश के नेतृत्व वाली पहल के समापन समारोह में उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह ग्रह हमारा नहीं है, और हमें इसे आने वाली पीढिय़ों को सौंपना होगा।
जैव विविधता के पोषण और संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि हम इस समय मात्र न्यासी हैं और अपने लापरवाह दृष्टिकोण और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ अपनी भावी पीढिय़ों को जोखिम में नहीं डाल कर सकते। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सतत विकास और जलवायु परिवर्तन पर नियन्त्रण काबू पाना सुरक्षित भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।
यह देखते हुए कि जिस जलवायु चुनौती का हम सामना कर रहे हैं, वह किसी एक व्यक्ति को प्रभावित न करके यह समूचे ग्रह को प्रभावित करेगी।
उन्होंने कहा कि जैसे विश्व के हर हिस्से के लिए कोविड एक गैर.भेदभावपूर्ण चुनौती थी, वैसे ही जलवायु परिवर्तन का विषय कोविड चुनौती से कहीं अधिक संकटपूर्ण और गंभीर है।
पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए समन्वित वैश्विक रुख को एकमात्र विकल्प बताते हुए कहा कि कोई एक देश इसका समाधान नहीं ढूंढ सकता है और समाधान खोजने के लिए युद्धस्तर पर सभी देशों को एकजुट होना होगा।