सुरक्षा गार्ड की निगरानी में बिकने वाला टमाटर बिकने लगा कौड़ियों के दाम

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हलधर किसान। कैब एक माह पहले कड़े पहरे में बिकने वाला टमाटर याब कौड़ियों के दाम बिकने लगा है। मंडियों में 20 रुपये किलो खेरची बिकने से थोक बाज़ार मे 5 से 7रुपये खरीदी हो रही। एक महीने पहले जो टमाटर 250 रुपये किलो के पार बिक रहा था, जिसे खरीदने के लिये सोश्यल मीडिया पर तरह- तरह के मी, रील बन रहे थे।
टमाटर ने पिछले कुछ महीनों से किचन का बजट बिगाड़ रखा था. लेकिन अब टमाटर की नई फसल और नेपाल से आये टमाटरों के बाद लगातार बढ़ते टमाटर के दामों पर लगाम लग गई है. जो कीमत पहले 300 रुपये किलो तक पहुंच गई थी वह अब 20 रुपये से लेकर 40 रुपये किलो तक पहुंच गई है.
मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में टमाटर की नई फसल आनी शुरू हो गई है. नई फसल आने के बाद से ही दाम कम हो रहे हैं. मंडी के साथ ही बाजार में भी अब टमाटरों के दाम कम होने के कारण खरीदारों की संख्या भी बढ़ रही है. बढ़ते टमाटर के दाम के कारण घरों से तो टमाटर गायब हुए ही थे. लेकिन फ़ूड बिजनेस वाली कई बड़ी कंपनियों ने भी टमाटर से तौबा कर लिया। पिछले दिनों मौसम की मार और बेमौसम बरसात के कारण टमाटरों के भावों में वृद्धि हो रही थी. उपभोक्ता मामले के मंत्रालय द्वारा रियायती दरों पर टमाटर बेचे जा रहे हैं.
टमाटर के साथ ही अन्य सब्जियों के दाम में भी कमी दिखाई दे रही है. सरकार ने सस्ते दाम पर टमाटर बेचने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ द्वारा पिछले एक महीने से दिल्ली सहित कुछ शहरों में सस्ते दाम पर टमाटर बेचे जा रहे थे. पहले सब्सिडी पर टमाटर 90 रुपये किलो बेचे गए. जिसे बाद में कम करके 50 रुपये किलो कर दिया गया. इसके बाद टमाटर की प्राइस पर लगाम लगाने के लिए नेपाल से टमाटर भी बुलाए गए.
महाराष्ट्र में किसानों से कोई 80 पैसे किलो टमाटर खरीदने को भी तैयार नहीं है. टमाटर की इस बेकद्री से किसान परेशान हैं. लातूर में किसानों ने टमाटर को कचरा समझकर जमीन पर फेंक दिया, विरोध प्रदर्शन भी किया. क्योंकि 80 पैसे में टमाटर बेचेंगे तो परिवार को क्या खिलाएंगे.

एक किसान ने कहा, “मेरा काफी नुकसान हो गया है. पहले बारिश नहीं थी, अब बारिश की वजह से भी नुकसान हुआ है. मैं चाहता हूं कि रेट बढ़ें ताकि मेरी कुछ भरपाई हो सके.” एक अन्य किसान ने कहा, “मुझे एक एकड़ में करीब डेढ़ से ढाई लाख रुपये का खर्च आया है. जबकि एक लाख रुपये का दाम कुल मिल रहा है. ऐसे में किसान कैसे जिंदा रहा.”

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