हलधर किसान इंदौर। बीज कानून रत्न से सम्मानित श्री आर बी सिंह आज के बीज कानून पाठशाला अंक: 8 में हलधर किसान के पाठकों को हरियाणा राज्य के समस्त बीज उत्पादक एवं उत्तर प्रदेश राज्य में बीज विक्रय प्रक्रिया की जानकारी साझा कर रहे है।
श्री सिंह के अनुसार – बीज की बिक्री राज्य के कृषि विभाग से बीज विक्रय लाइसैंस ले कर ही की जा सकती है। एक व्यापारी एक अमुक स्थान पर लाइसैंस लेकर किसी शहर, जिले, जिलों, राज्यों में बीज विक्रय कर सकता है और यहाँ तक की वह अन्तर्राष्ट्रीय बीज व्यापार भी इस लाइसैंस से कर सकता है क्योंकि लाइसैंस की भाषा के अनुसार व्यापारी बीज निर्यात कर सकता है अर्थात देश के बाहर भी बीज बेच सकता है।बीज लाइसैंस थोक या खुदरा नहीं होता और न ही लाइसैंस में सीमा अधिकारिता (Territorial Jurisdiction) होती है और कई राज्य तो Central Licence की भी पद्धति अपनाए हुए है जो विधिक रूप से गलत है।
हरियाणा, हिमाचल प्रदेश में बाहरी राज्य के बीज व्यापारी को बीज विक्रय करने के लिए लाइसैंस लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाता। प्रत्येक राज्य बाहरी राज्यों के व्यापारियों को लाइसैंस लेकर बीज विक्रय करने के लिये बाध्य करता है। राजस्थान बाहरी उत्पादकों या व्यापारियों को बीज विक्रय करने के लिए लाइसैंस लेने के लिए बाध्य नहीं करता बल्कि किस्म पंजीकरण करवाने की नई चाल चलता है और व्यापारी उस पंजीकरण को ही लाइसैंस समझते हैं। राजस्थान सरकार द्वारा आर.टी.आई. के सम्बन्ध में दी गई सूचनानुसार पंजीकरण भी स्वैच्छिक है परन्तु लागू आवश्यक (Mandatory) के रूप में किया जा रहा है।
उप आयुक्त गु०नि० कृषि विभाग भारत सरकार डॉ० आर.के. त्रिवेदी महोदय ने 29.04.2016 को अन्तरराजीय बीज व्यापार के लिए सभी व्यापारियों, राज्य सरकारों की आपत्तियों को स्पष्ट करते हुए पत्र लिखा था (संलग्न) कि दूसरे राज्य में बीज विक्रय करने के लिए व्यापारी उस राज्य में कार्यालय या गोदाम नहीं खोलता है तो उसे उस प्रदेश का लाइसैंस लेने की आवश्यकता नहीं है। इसी पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया कि बीज विक्रय के लिए किस्मों का पंजीकरण करवाना (Registration of varieties) और किस्मों की ट्रायल (Trial testing of variety) करवाना भी जरूरी नहीं है।
डॉ० आर.के. त्रिवेदी उपायुक्त भारत सरकार के 29.04.2016 के पत्र का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के डॉ० विष्णु प्रताप सिंह, अपर कृषि निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र) तथा अनुज्ञापलन अधिकारी ने सभी जिला कृषि अधिकारियों / लाइसेंसिंग अधिकारियों को दिनांक 22.06.2017 को पत्र (संलग्न) जारी कर आदेश दिए हुए हैं कि बाहरी व्यापारी को जो अपना कार्यालय या गोदाम के बिना राज्य में बीज व्यापार करना चाहता है लाइसैंस लेने के लिए बाध्य न करें। अतः व्यापारी इस सुविधा का लाभ उठाए।
वास्तव में इतना होने पर भी हरियाणा या अन्य राज्यों के व्यापारी उत्तर प्रदेश में लाइसैंस लेते हैं और उसको प्राप्त करने में जो धन व्यय होता है, उससे कुढते रहते हैं और सरकारी नीतियों को कोसते रहते हैं। उसका कारण उनमें अपने हक की बात प्रमाणों के साथ दृढ़ता से न रखने में साहस की कमी है। अतः उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों में भी बिना लाइसैंस लिये बीज विक्रय की रीत डालें। जो व्यापारी दूसरे राज्य में लाइसैंस लेकर बीज आपूर्ति के बिल अपने मुख्यालय से काटते हैं वे राज्य के राजस्व विभाग की नीतियों का उलंघन है।
:: लोकोक्ति::
अद्भुत है बीज का अंकुरण
स्वयं को होम कर, करता नया सृजन।
– सौजन्य से –
श्री संजय रघुवंशी, प्रदेश संगठन मंत्री, कृषि आदान विक्रेता संघ मप्र
श्री कृष्णा दुबे, अध्यक्ष, जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ इंदौर
(आर.बी. सिंह)
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