बीज कानून पाठशाला अंक:21 “हरियाणा (बीज संशोधन) विधेयक 2025”

beej kanun pathshala

हलधर किसान इंदौर। बीज कानून पाठशाला ज आज के अंक में बीज कानून रत्न से सम्मानित आरबी सिंह की कलम से जानिए…

भारत सरकार ने वर्ष 1963 में बीज उत्पादन, प्रमाणीकरण एवं वितरण हेतु नेशनल सीड्स कारपोरेशन की केन्द्रीय सार्वजनिक संस्था स्थापित की जिसके द्वारा कृषि वैज्ञानिकों की बीज शोध का कृषक तक पहुंचाना लक्ष्य था। नेशनल सीड्स कारपोरेशन की लगभग 4 वर्ष की शैश्व अवस्था में 30.12.1966 को बीज अधिनियम-1966 लाया गया। इसमें मात्र 25 धाराएं थी तथा एक और धारा-1972 में जोड़ कर कुल 26 धाराएं बनाई गई। विधायिक दृष्टि से भारत के संविधान में नये कानून बनाने के विभिन्न विषयों की तीन अनुसूचियाँ हैं केन्द्र, राज्य एवं समवर्ती सूची।

1- कृषि समवर्ती सूची में आता है अतः कृषि सम्बन्धी कानूनों की रचना करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार सक्षम है। बीज कृषि प्रधान आदान है इस पर भारत सरकार ने बीज अधिनियम 1966 की रचना की। इसी प्रकार राज्य सरकार भी बीज विषय पर कानून की रचना कर सकती है परन्तु केन्द्र के बने कानून से हट कर विषय होना चाहिए।

1. बीज अधिनियम 1966 :-

भारत सरकार ने बीज विधेयक (Bill) 1966, लोक सभा में पारित किया और 29 दिसम्बर 1966 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही बीज अधनियम कहलाया। बीज अधिनियम 30 दिसम्बर 1966 को भारत के गजट के 66 वें संस्करण के भाग-2 अनुभाग-1 में प्रकाशित हुआ। इसकी कुल 25 धाराएं हैं तथा धारा-8A वर्ष 1972 में जोड़ कर कुल 26 धाराएं हैं। इसकी प्रथम बार 15 धाराएं 2 सितम्बर 1968 से तथा 10 धाराएं 01.10.1969 से लागू की गई।

2. बीज नियम 1968 :-

बीज अधिनियम-1966 में जो प्रावधान किए गये उनकी पालना करने हेतु बीज नियम-1968 पारित किए गये। ये कुल 39 नियम हैं और ये 9 सितम्बर 1968 से लागू किये गये।

3. बीज (हरियाणा संशोधन) अधिनियम 2025 :-

यद्यपि बीज अधिनियम 1966 केन्द्र सरकार द्वारा रचित अधिनियम है और इसमें भारत सरकार संधोशन कर सकती है और आज तक केवल एक बार 09.09.1972 में संशोधन किया गया और धारा-8A की रचना की गई। हरियाणा सरकार ने इसकी धारा-19 में छेड़छाड़ कर 19A और जोड़ दी तथा अपराध में परिवर्तन तुलनात्मक रूप से निम्न प्रकार है :-बीज अधिनियम-1966 एवं बीज (हरियाणा संशोधन) 2025 की धारा-19A में संशोधन

4. बीज अधिनियम-1966:-

बीज हरियाणा संशोधन अधिनियम-2025

2. प्रभावशीलता

बीज अधिनियम-1966

पूरे भारत में 02.09.1968 एवं 01.10.1969 से प्रभावी

  1.  बीज (हरियाणा संशोधन) अधिनियम-2025
  2. हरियाणा राज्य की सीमाओं तक प्रभावित। हरियाणा राज्य में बाहरी राज्यों द्वारा आये बीजों पर भी लागू होगा। राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षर होने और गजट अधिसूचना होने पर लागू।
  3. धारा-19

कोई व्यक्ति :-

  • इस अधिनियम एवं बीज नियम-1968 में किए गये प्रावधानों का उलंघन करता है या
  • बीज निरीक्षक को सैम्पल लेने में बाधा डालता है या
  • बीज निरीक्षक को इस अधिनियम के द्वारा दी गई अन्य शक्तियों का प्रयोग करने में रूकावट पैदा करता है तो
    • प्रथम बार अपराध (i) घटित होने पर मात्र रुपये 500/-अर्थ दण्ड। तक
    • द्वितीय बार अपराध करने पर 1000/-रुपये तक अर्थदण्ड या 6 माह का कारावास या दोनों।

3. धारा-19A

इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गये नियमों में दी गई किसी बात के होते हुए भी इस अधिनियम की धारा-7 की उलंघना में किए गये अपराध संज्ञेय तथा अजमानतीय होंगेः-

जहाँ कोई अपराध किसी कम्पनी / उत्पादक द्वारा किया गया है तो प्रत्येक व्यक्ति जो अपराध के होने के समय कारोबार के संचालन के लिए प्रभारी था और कम्पनी के उत्पादन के लिए उत्तरदायी था, कारावास जिसकी एक वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो 2 वर्ष तक की हो सकेगी से दण्डनीय होगा और जुर्माना एक लाख रुपये से कम नहीं होगा किन्तु जो तीन लाख रुपये तक का हो सकेगा से भी दायी होगा जिसे किसी अपराध के लिए पूर्व में दोषसिद्ध किया जा चुका हो, द्वारा कोई अपराध किए जाने की दशा में कारावास जिसकी अवधि दो वर्ष से कम नहीं होगी जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी, से दण्डनीय होगा और जुर्माना जो 3 लाख रुपये से कम नहीं होगा किन्तु जो 5 लाख रुपये तक का हो सकेगा, से भी दायी होगा।

जहाँ कोई अपराध किसी व्यवहारी (Dealer)/व्यक्ति द्वारा किया गया है तो वह कारावास जिसकी अवधि छः मास से कम नहीं होगी किन्तु जो एक वर्ष तक की हो सकेगी से दण्डनीय होगा और जुर्माना जो 50 हजार रुपये से कम नहीं होगा किन्तु जो एक लाख रुपये तक का हो सकेगा से भी दायी होगा। आगे किसी व्यवहारी (Dealer)/व्यक्ति जिसे किसी अपराध के लिए पूर्व में दोष सिद्ध किया जा चुका हो, द्वारा कोई अपराध किये जाने की दशा में कारावास जिसकी अवधि 6 मास से कम नहीं होगी किन्तु जो एक वर्ष तक की हो सकेगी से दण्डनीय होगा और जुर्माने जो एक लाख रुपये से कम धारा-21 कम्पनी द्वारा अपराध में कम्पनी की परिभाषा कोई संस्था, फर्म, तथा अन्य संघ और व्यक्ति भी सम्मलित है।

नहीं होगा किन्तु जो दो लाख रुपये तक का हो सकेगा से भी दायी होगा।

उत्पादक :-

कोई व्यक्ति जो किसी व्यवहारी (Dealer) के माध्यम से आगे विक्रय हेतु बीज के वाणिज्यक (Commercial) उत्पादन में नियोजित कोई व्यक्ति ।

विक्रेता :-

बीजों के विक्रय, निर्यात, या आयात का कारोबार करने वाला कोई व्यक्ति तथा इसमें E- विक्रयी और व्यवहारी का कोई अभिकर्त्ता (Agent) भी शामिल है।

विसंगतियाँ :-

इस संशोधन में विभिन्न विसंगतियाँ / त्रुटियाँ / गलतियाँ हैं जो निम्नानुसार है :-

धारा-19 नहीं हटाई :-

हरियाणा से पहले महाराष्ट्र राज्य ने बीज अधिनियम 1966 की धारा-19 को संशोधित करने का कुत्सित प्रयास किया था मगर महाराष्ट्र के 15000 विक्रेताओं / उत्पादकों के घोर विरोध के कारण सरकार को प्रस्ताव / Bill वापिस लेना पड़ा। महाराष्ट्र सरकार ने धारा-19 को संधोशित करते हुए 19A लगाई परन्तु मूलधारा-19 हटा दी गई परन्तु इस संशोधन में धारा-19 भी है और 19A भी अतः न्यायधीश किस धारा में निर्णय देगा ?

सुझाव व आपत्तियाँ नहीं मांगी :-

गणतंत्र शासन व्यवस्था में जब किसी नये कानून बनाने का प्रयास किया जाता है तो जिस वर्ग / समाज के लिये नियम कानून बनाए जाते हैं उसका प्रस्तावित मसौदा उस समाज वर्ग को आपत्तियाँ एवं सुझाव के लिए लोकसभा/विधानसभा में रखने से 2-3 माह पूर्व भेजा जाता है परन्तु इस संशोधन में ऐसा नहीं किया गया अतः यह संशोधन मान्य नहीं।

जघन्य अपराध :-

सरकार ने बीज अधिनियम के उलंघन को जघन्य अपराध उग्रवादी, आतंकवादी, हत्यारे, देश द्रोहीयों की श्रेणी में रखा और संक्षेय अपराध Cognizable offence तथा अजमानतीय Non bailable करार देकर दूरदर्शिता, सूझबूझ का परिचय नहीं दिया है खाद्य पदार्थ संरक्षण अधिनियम Food Adulteration Act में भी ऐसी धाराएं नहीं जहाँ अपमिश्रण से बडे स्तर पर बडी संख्या में जन हानि हो सकती है।

उत्पादकता में सुधार नहीं :-

हरियाणा सरकार को इस संशोधन को लाने की जरूरत क्यों पड़ी ? सरकार ने संशोधन के साथ लगे पत्र में “उद्देश्यों तथा कारणों का विवरण” में स्पष्ट किया गया है कि “किसानों को ऐसे बीज बेचे जा रहे हैं जो कृषि उपज की उत्पादकता के सुधार के लिये परिणाम नहीं देते हैं”। यह कथन सत्यता से कोसो दूर है। नई किस्मों के कारण हरित क्रान्ति आई। भारत के विभाजन के समय जनसंख्या 34 करोड थी उस समय भारतवासियों के खाने के लिए गेहूँ / कनक अमेरिका की P.L.-480 (Public La-480) स्कीम के तहत मंगवाया जाता था परन्तु अब देश में 140 करोड़ जनता के लिये 112 लाख टन गेहूँ के उत्पादन से जनता के पेट भरा जा रहा है और कुछ मात्रा में निर्यात भी किया जा रहा है यह किस्मों की उत्पादकता के कारण ही सम्भव हो रहा है। हरियाणा में प्रति वर्ष उत्पादन बढ़ रहा है और इस वर्ष 125 लाख टन गेहूँ उत्पादन की उम्मीद है।

यहाँ यह स्पष्ट करना भी आवश्यक है कि अन्य कारणों के साथ उक्त बीज के कारण हरियाणा को वर्ष 2010-11 एवं 2011-12 में लगातार गेहूँ की प्रति हैक्टेयर उपज 46.24 क्विंटल तथा 51.82 क्विंटल होने के कारण 2 करोड़ मूल्य के कर्मण पुरुषकार प्राप्त हुए।

यदि सरकार का खेत में उत्पादकता से अभिप्राय है तो सरकार द्वारा 5000 किस्मों की न्यूनतम उपज निर्धारित करनी होगी। इसके अलावा प्रति ईकाई उत्पादन भूमि प्रकार एवं भेद, उर्वरक मात्रा, समय, खुराक Dose, प्रकार, विभेद, जल-प्रकार मात्रा, समय तथा अन्य कारकों पर निर्भर है जो सर्वविदित सत्य Universal Truth है। दूसरी बात कही गई है कि बीज मानकों के अनुसार नहीं है

सब-स्टेण्डर्ड बीज :-

यह कथन ही सत्य नहीं है क्योंकि प्रमाणित एवं स्वयं प्रमाणित (टी०एफ०एल० / टी०एल०) बीज भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानकों की पालना कर ही विक्रय होते हैं। हरियाणा सरकार का सीड एफार्स मैन्ट विभाग बीज निरीक्षक (DDA, SDAO, QCI तथा SMS) सैम्पल ले रहे हैं जिसमें मात्र 1% या नगण्य प्रतिशत बीज लॉट फेल होते हैं जबकि उर्वरक, कीटनाशी में प्रतिशत ज्यादा है और समाचार-पत्र के अनुसार हरियाणा राज्य में खाद्य पदार्थों के पाँच साल में 597 सैम्पल में से 143 फेल आये यानि 24% फेल आये। इनसे विशाल जन हानि हो सकती है।

धारा का संशोधन गलत :-

सरकार ने धारा-19 का संशोधन कर उत्पादक कम्पनी और विक्रेता Dealer में बांट दिया। बीज अधिनियम 1966 की धारा 21 में कम्पनी द्वारा अपराध पहले से ही है उसको धारा-19A में लाकर बीज उत्पादक एवं बीज विक्रेताओं की एकता को फाड़ दिया। उत्पादक विक्रेता का अटूट बन्धन है और एक-दूसरे के पूरक है।

राष्ट्रपति की सहमति आवश्यकता :-

यह संशोधन केन्द्र सरकार के अधिनियम 1966 में संशोधन किया गया है अतः इस संशोधन की मान्यता केवल राज्यपाल (Governor) के द्वारा हस्ताक्षरित होने के बाद नहीं होगी बल्कि इसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाना आवश्यक है।

प्रमाणीकरण संस्थाएं पूर्ण भागीदार :-

राष्ट्र में लगभग 50 प्रतिशत और हरियाणा में लगभग 35 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज उत्पन्न किया जाता है जिसमें जनक आधार बीज क्रय करने, बिजाई करने से अन्तिम टैगिंग, सीलिंग तक पूरी प्रक्रिया उनकी निगरानी में होती है तो उत्पादक के साथ-2 हरियाणा राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था को भी दोषी माना जाए। बीज बनाने वाले कृषक को भी दोषी माना जाए। प्रमाणीकरण अधिकारी सील नहीं लगवाते, लेबल चैक नहीं करते, खेत में Source of Seed को वैरीफाई नहीं करते अतः उनको भी Non bailable अपराध की श्रेणी में रखा जाए।

उत्पादकों और विक्रेताओं में भ्रम :-

कुछ बीज विक्रेता भ्रम में डाल रहे हैं कि अमुक का उत्तर दायित्व है। अपराध एक समान है Cognizable संज्ञेय है तथा Non bailable है दोनों वर्ग मिल कर प्रयास करें सफलता शीघ्र मिल जायेगी। यदि बीज विक्रेता इस कानून को Bailable तथा Non cognizable में परिवर्तन करवा देते हैं तो बीज उत्पादकों को स्वतः लाभ मिल जायेगा क्योंकि अपराध समान है। समस्या Non bailable की है और पुलिस इस दलील से कि बीज उत्पादक कौन है विक्रेता को मुक्त नहीं करेगी। बीज उत्पादक तो साथ रहेगा ही। ये दलील केवल न्यायालय सुनेगा परन्तु न्यायालय जाने से पूर्व पुलिस विक्रेताओं का चरित्रहनन, प्रताड़ना, उत्पीड़न कर दे तो दलील काम नहीं आई। दोनों वर्गों का संगठित होना आवश्यक है।

पड़ोसी राज्य के संघों का साथ मिला :-

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है और हरियाणा के बीज उद्योग का मनोबल बढा रहे हैं। उन्हें साथ देना भी चाहिए क्योंकि बीज विक्रय राज्य की सीमाओं तक नहीं समेटा जा सकता। साथ ही यह गैंगरीन की बिमारी इन पड़ोसी राज्यों में ही नहीं पूरे भारत में फैलेगी। इसलिए आपस में सहयोग देना आवश्यक है और कुंवर वेचैन की पंक्तियाँ सार्थक हो जायेगी :-

पूरी धरा भी साथ दे तो और बात है पर तू जरा भी साथ दे तो और बात है यूं तो चलने को एक पांव से भी चलते हैं लोग पर दूसरा भी साथ दे तो और बात है।

कारात्मक बिन्दु :-

विगत में कोई विवाद नहीं :-कोई छुट-पुट घटनाओं को छोड़ कर हरियाणा के बीज उत्पादकों एवं विक्रेताओं द्वारा बीज का कोई प्रकरण नहीं हुआ जिससे अपराध को संज्ञेय तथा अजमानती बनाना पड़ा।

पड़ोसी राज्यों में बीज को मान्यता :-हरियाणा के बीज उत्पादक एवं बीज विक्रेता सचेत है और बीज कानूनों की पालना कर बीज तैयार करते हैं इसलिये पड़ोसी राज्यों में हरियाणा का बीज लोकप्रिय है और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और मांग भी ज्यादा है।

 आर.बी. सिंह, बीज कानून रत्न, एरिया मैनेजर (सेवानिवृत) नेशनल सीड्स कारपोरेशन लि० (भारत सरकार का संस्थान) सम्प्रति – “कला निकेतन, ई-70, विथिका-11, जवाहर नगर, हिसार-125001 (हरियाणा), दूरभाष सम्पर्क-79883-04770, 94667-46625 (WhatsApp)

आर.पी. सिंह, सहायक महाप्रबंधक (सेवानिवृत), नेशनल सीड्स कारपोरेशन लि० (भारत सरकार का संस्थान) सम्प्रति शिवछाया, 320, सुन्दर नगर, हिसार-हरियाणा, दूरभाष सम्पर्क 97290-62567

उक्त जानकारी संकलन सहयोगी- 

वेद नारंग-बालाजी एग्रीकल्चर स्टोर बीज विक्रेता-हिसार।

संकलन सहयोगी-

कृषि आडकन विक्रेता संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष मनमोहन कलन्त्री

राष्ट्रीय सचिव प्रवीण भाई पटेल 

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम खंडेलवाल

 राष्ट्रीय प्रवक्ता व प्रदेश सचिव संजय रघुवंशी 

प्रदेश अध्यक्ष मानसिंह राजपूत 

प्रदेश संगठन मंत्री विनोद जैन 

प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा दुबे ….

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