बीज कानून पाठशाला अंक 7: प्रस्तावित बीज विधेयक 2019

Beej kanun

क्या है अधिक पारदर्शी?

हलधर किसान इंदौर, बीज कानून पाठशाला आज के अंक में जानेंगे प्रस्तावित बीज विधेयक 2019 कृषि में प्रयोग होने वाले आदानों (Input) में बीज महत्त्वपूर्ण है। फसल उत्पादकता एवं उत्पादन बीज पर निर्भर होती है। इसी महत्त्व को ध्यान में रखते हुए सन् 1963 में सर्वप्रथम केन्द्रीय स्तर पर नैशनल सीड्स कारपोरेशन का गठन कर भारत सरकार ने बीज उत्पादन, बीज प्रमाणीकरण एवं बीज विक्रय का कार्य आरम्भ किया। साथ ही सन् 1966 में बीज की गुणवत्ता को बनाए रखने हेतू भारत सरकार ने बीज अधिनियम पारित किया। बीज अधिनियम को पारित हुए लगभग 58 वर्ष का समय बीत गया।

इस बीते समय के दौरान बीज उद्योग में काफी परिवर्तन आए हैं। बीज सम्बन्धी अन्य अधिनियमों जैसे पादप प्रजाति संरक्षण एवं कृषक अधिकार अधिनियम 2001, जैव विविधता अधिनियम 2002 सीड पॉलिसी, बीटी किस्मों के आगमन के कारण नये बीज अधिनियम की आवश्यकता हुई और सरकार ने नया अधिनियम बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत 17.07.2000 को की। प्रारूप बनाने में कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विशेषज्ञों, बीज तकनीशियनों की राय ली। 4 मार्च 2002 में संशोधित प्रारूप तैयार किया उसमें भी आवश्यक संशोधन कर 8 दिसम्बर, 2004 में लोकसभा के पटल पर रखा तथा राज्य सभाकी स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने 20 नवम्बर 2006 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

इस रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के बाद पुनः प्रस्ताव 2010 एवं 2019 में रखा गया इसके आधार पर बीज अधिनियम 1966 का तुलनात्मक अध्ययन निम्न प्रकार है :-

प्रस्तावित बीज विधेयक 2019
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प्रस्तावित बीज विधेयक 2019 3
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