स्मृति शेष..
हलधर किसान इंदौर। कहते है इंसान काम से नही अपने कर्मों से पहचाना जाता है, ऐसे ही इंसान थे इंदौर के वरिष्ठ भाजपा नेता और समाजसेवी विष्णु प्रसाद शुक्ला जिन्हें लोग बड़े भैया के नाम से जानते थे और उनके निधन के दो साल बाद अपने कर्मो के लिए याद किए जा रहे है। आज याने 25 अगस्त को बड़ेजी की द्वितीय पुण्यतिथि है, जिनकी स्मृति में श्री परशुराम सेना ने सम्मान समारोह एवं परिचर्चा का आयोजन हंसदास मठ बड़ा गणपति के पास इंदौर में रखा।
बाणगंगा क्षेत्र में भाजपा नेता, सर्व ब्राह्मण समाज व कान्यकुब्ज विद्या प्रचारिणी सभा के प्रमुख विष्णुप्रसाद शुक्ला (बड़े भैया) कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला और राजेन्द्र शुक्ला के पिता थे।
भाजपा की राजनीति में विष्णु प्रसाद शुक्ला का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता था। वे अनेक धार्मिक संगठनों के साथ ब्राम्हण समाज की गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाते थे।
शुक्ला 70 के दशक में भाजपा संगठन से जुड़े थे। शहर में वे बड़े भैया के नाम से जाने जाते थे। वे आपातकाल में जेल भी गए थे। उन्होंने दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन वे खुद तो नही जीत पाए लेकिन उन्होंने अपनी पकड़ इतनी मजबुत बनाई कि बाद में कई लोगों को सांसद, विधायक बनाया। विष्णु प्रसाद शुक्ला हमेशा चाहते थे कि उनके परिवार से कोई विधायक बने। उनकी यह हसरत छोटे बेटे संजय शुक्ला ने पूरी की थी। संजय कांग्रेस के टिकट से एक नंबर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। संजय आज अपने पिता की विरासत को न केवल बढ़ा रहे बल्कि पिता की तरह समाजसेवा में अपना योगदान देकर पिता की तरह पहचान बनाने में कामयाब हो रहे है।
खंडेलवाल के संपर्क में आने के बाद राजनीति से जुड़े
विष्णु प्रसाद शुक्ला के करीबी रहने के साथ ही समधी बने कृषि आदान विक्रेता संघ के श्रीकृष्णा दुबे बताते है कि बाणगंगा क्षेत्र में बडेजी का वर्चस्व रहा। उन्होंने मिल में कुछ समय नौकरी की। भाजपा के वरिष्ठ नेता प्यारेलाल खंडेलवाल के कारण वे राजनीति में आए और शहर में भाजपा की राजनीतिक जमीन तैयार की। 1989 में उन्होंने एक नंबर विधानसभा क्षेत्र से टिकट मांगा था। तब दो नंबर विधानसभा क्षेत्र से कैलाश विजयवर्गीय का टिकट तय हुआ था, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता कुशाभाऊ ठाकरे ने शुक्ला को दो नंबर विधानसभा क्षेत्र का टिकट दिया और विजयवर्गीय को चार नंबर क्षेत्र से चुनाव लडऩे को कहा था। शुक्ला के सामने तब कांग्रेस नेता सुरेश सेठ ने सादगी से चुनाव लड़ा था और जीत भी दर्ज कराई थी।
उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ भाजपा नेता विष्णप्रसाद शुक्ला बड़े भैया का जन्म 1937 में जानापाव के नजदीक जामली ग्राम में हुआ था।
श्री दुबे बड़ेजी को याद करते हुए कहते है कि पुण्य कार्य कर्म आप किसी से भी छुपे नहीं है, उन्होंने समाज के बंधुओं के साथ.साथ जो गैर समाज का बंदा भी आकर उनके समकक्ष खड़ा हुआ उन्होंने अपने सामथ्र्य अनुसार सहायता की और सदैव तत्पर रहे। परोपकारिता के लिए उन्होंने अपने जीवन में कितने अच्छे.अच्छे पुण्य के कार्य किए हैं, जिसकी यहां पर शब्दों में व्याख्या नहीं की जा सकती। उनमें मानवीयता भी कूट-कूट कर भरी थी। सर्वहारा वर्ग के प्रति उनका प्रेम आजीवन रहा और वे उम्र के अंतिम पड़ाव में इसी वर्ग के लिए फिक्रमंद रहा करते थे।
ब्राह्मण समाज के पितामह थे बड़ेजी
ब्राह्मण समाज के तो वे पितामह थे जिन्होंने शहर में विप्रवर्ग का संगठन खड़ा किया। आजीवन वे कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के मुखिया रहे और समाज के लिए स्कूल कॉलेज रोजगार से लेकर शादी ब्याह तक वे स्वयम करवाते थे। वे सही मायने में समाज के बाबूजी थे और माँ बहनों के बड़े भैय्या।
जानापाव के सौंदर्यीकरण का जाता है श्रेय
श्री दुबे परिवार ने बताया बड़ेजी का बहुुमुखी प्रतिभा के धनीे थे उनका व्यक्तित्व विरले लोगों में होता है, उनके जैसा व्यक्ति इस दुनिया में होना संभव नही है। एक बार का वाक्या याद आता है, बड़ेजी 1991 में अपने परिवार के साथ ब्राह्मण समाज के आराध्य परशुरामजी की जन्मस्थली जानापाव गए थे। जानापाव पहाड़ी पर होने से रास्ता बेहद दुगर्म था, आराध्य देव के दर्शन में समाजजनों को होने वाली परेशानी को देखते हुए उन्होंने संकल्प लिया कि वे रास्ता सुगम होने के साथ ही जानापाव को धार्मिक स्थल के रुप में पहचान दिलाएंगे, यह संकल्प उन्होंने पूरा भी किया ओर खुद के साथ ही जनप्रतिनिधियों के सहयोग से 10 साल के अथक प्रयासों के बाद न केवल रास्ता सुगम कराया बल्कि पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित कराया, जिससे आज समाजजन आसानी से जानापावी ऊंची पहाड़ी पर पहुंच रहे है।
निर्धंन बेटियों की कराई शादी
श्री दुबे परिवार ने बताया बड़ेजी जितने सख्त नजर आते थे उतने ही कोमल हृदय के थे। उन्होंने कई निर्धंन जरुरतमंद बेटियों की न केवल शादी कराई बल्कि उन्हें गृहस्थी सजाने के लिए अपनी ओर से सामान देकर पिता के रुप में विदा किया। उनके यह सेवाकार्य आज भी लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए है।
भाजपा के कई नेताओं के नसीब संवारें
बडे भैय्या सत्यनारायण सत्तन ओर प्रकाश सोनकर। ये तिकड़ी भाजपा ही नही शहर की जान थी। बड़े भैया के कारण ही आज विधनासभा 2 भाजपाई गढ़ बनी हुई है। वे भले ही 1990 का चुनाव सुरेश सेठ के सामने हार गए लेकिन पार्टी के लिए इस श्रमिक क्षेत्र में ऐसी जमीन तैयार कर गए कि जिसकी फसल भाजपा आज भी बड़ी दम्भोक्ति के साथ काट रही है। राजनीतिक सुख उनके नसीब में नही था लेकिन उन्होंने अपनी सदारत में भाजपा के कई नेताओं के नसीब संवार दिए। प्रदेश के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय भी उनमें से एक है। ये फेहरिस्त बहुत लंबी है। परिवार के लिए बैलगाड़ी से शुरू कर हेलीकॉप्टर तक एम्पायर खड़ा करने वाले बड़े भैय्या हमारे बीच मौजूद नही रहेंगे लेकिन उनकी जिजीविषा ओर जीवटता शुक्ला परिवार को जीवनपथ पर सदैव संबल देती रहे। ऐसी प्रभु के श्रीचरणों में करबद्ध प्रार्थना के साथ बड़े भैय्या को दुबे परिवार इंदौर, हलधर किसान, किसान प्लस टीवी, कृषि आदान विक्रेता संघ, जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ और बीज भंडार परिवार की ओर से अश्रुपुरित श्रद्धांजलि