प्याज ने निकाले किसानों के आंसू, 4से 5 रुपये किलो में व्यापारी खरीद रहे उपज

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हलधर किसान। किसानों पर इन दिनों चौतरफा मार पड़ रही है. विशेष कर प्याज की खेती करने वाले किसान आंसू बहाने के लिये मजबूर हैं. उनके लिए प्याज की खेती की लागत निकलना मुश्किल हो रहा है. पहले बेमौसम हुई बारिश से अच्छी उपज नहीं हो सकी. इसके अलावा, जो बच गए वो जमीन के अंदर सड़ने लगे. जैसे-तैसे कर के किसानों ने प्याज खुदवाई और उसे मंडी तक लेकर आए तो उन्हें यहां इसके भाव नहीं मिल रहे हैं. व्यापारी प्याज की उपज को मनमाने दाम पर खरीदने की बात कर रहे हैं. जबकि, किसानों का कहना है कि इससे ज्यादा तो उनका यहां तक प्याज लाने में भाड़ा ही लग जाता है.
बेमौसम बरसात ने इस बार किसानों को खूब परेशान किया है. उत्पादन कम होने के साथ ही दाम भी कम मिल रहे हैं. इससे किसानों की लागत भी नहीं निकल रही है. पानी लगने से फसलों की रंगत और क्वॉलिटी दोनों पर असर पड़ा है. इस वजह से कहीं प्याज को नाली में फेंकने और कहीं मुफ्त में बांटने के समाचार मिल रहे है।
खरगोन के किसान प्याज की खेती करने वाले प्रिंस गुप्ता ने बताया कि एक एकड़ में प्याज की खेती में कम से कम 70,000 रुपये की लागत आती है, लेकिन सस्ते भाव में बिक रही प्याज की लागत तक भी नहीं निकाल पा रहे हैं. इसके अलावा, चार महीने जो मेहनत की, वो बर्बाद हो गई सो अलग।प्याज की उपज की 4 रुपये से लेकर पांच रुपये तक का भाव लगाया जा रहा है. गुप्ता का कहना है कि सरकार को कोई दाम फिक्स कर देना चाहिए. ताकि उससे कम दाम में मंडी में व्यापारी किसानों से माल ना खरीद सके.।.”महमददपुर के कृषक देवीसिंग ने बताया बीते सालों की तुलना में किसानों की फसल के भाव तो वही हैं, लेकिन लागत कई गुना बढ़ गई है. बीज अब 3000 रुपये प्रति किलो है. मजदूरी 100 रुपये रोजाना से बढ़कर 400-500 रुपये हो गई है. चौपाई, निंदाई, कटाई, छंटाई सब में मजदूरों की जरूरत है. बिजली, खाद, कीटनाशक सबके दाम बढ़ गए हैं। व्यापारी 5 रुपये खरीदी में भी नखरे कर रहे है। छटनी के बाद उपज खरीदी हो रही है। ऐसे में कई किदां मुफ्त में प्याज बांटने अथवा फेंकने को मजबूर है।

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