2025-26 में 9079 करोड़ का ऋण वितरण करेगा नाबार्ड

NABARD will distribute loans worth Rs 9079 crore in 2025 26

हलधर किसान खरगोन। कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने डीएलसीसी बैठक के दौरान नाबार्ड द्वारा वर्ष 2025.26 के लिए तैयार की गयी पीएलपी का विमोचन किया। डीडीएम नाबार्ड विजेंद्र पाटिल ने बताया कि जिले के लिए 9079 करोड़ रुपये की ऋण योजना बनाई गयी हैं। यह ऋण आंकलन भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं व नीतियों में बदलाव से उत्पन्न संभावनाएं आधारभूत/ सहायक सुविधाओं में सुधार, स्केल ऑफ फाइनेंस, यूनिट कॉस्ट, सब्सिडि योजनाओं इत्यादि संभावित उपलब्धि गत वर्षो में बैंकों की उपलब्धियों, पिछले आधार स्तरीय ऋण प्रवाह को ध्यान में रख कर किया गया हैं। 

कृषि क्षेत्र के लिए 6704 करोड़, एमएसएमई क्षेत्र के लिए 1845 करोड़ रुपये तथा अन्य प्राथमिकता क्षेत्र के लिए 528 करोड़ रुपये का आकलन किया गया है। कृषि मियादी ऋण 2027 करोड़ रुपये का आँकलन किया गया है जो कुल कृषि ऋण का लगभग 30 प्रतिशत है। वर्ष 2025.26 के लिए नाबार्ड ने एसएचजी/जेएलजी वित्तपोषन, सिंचाई सुविधाओं में विस्तार, वेयरहाउसिंग, डेयरी विकास में सुधार, कृषक उत्पादन संगठन इत्यादि जैसे क्षेत्रों पर जोर देने की आवश्यकता जताई हैं।

उच्च मूल्य वाली कृषि के साथ.साथ संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली नर्सरियों, हैचरी, मछली बीज फार्म आदि की आवश्यकता है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की अंतर्निहित क्षमता को प्राप्त करने के लिए कृषि उपज और कृषि प्रसंस्कृत उत्पादों, खास कर मिर्च के विपणन चौनलों को बढ़ाने की आवश्यकता है।

नाबार्ड कई विकास गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। जिसमें स्वयं सहायता समूह/ संयुक्त देयता समूह प्रोमोटिंग संस्थान, एफपीओ, कार्यशालाओं का आयोजन, सेमिनार, प्रशिक्षण शिविरए जल संसाधन के माध्यम से प्रकृतिक संसाधन प्रबंधन, गैर कृषि क्षेत्र के लिए ऋण आधारित प्रशिक्षण इत्यादि प्रमुख हैं। डीडीएम नाबार्ड ने सभी बैंक को फूड . एग्रो प्रोसेसिंग, एफपीओ फाइनन्सिंग एवं नाबार्ड द्वारा वित्तपोषित बिस्टान एवं नागलवाड़ी लिफ्ट सिंचाई योजना से लाभान्वित क्षेत्रों में माइक्रो इरीगेशन  के लिए ऋण प्रवाह बढ़ाने पर ज़ोर दिया।

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कलेक्टर निर्देशित किया कि बैंकों, सरकारी विभागों और गैर सरकारी संगठनों को वर्ष 2025.26 के लिए जिलों में मूल्यांकित समग्र ऋण क्षमता को मूर्त रूप देने के लिए मिलकर काम करना होगा। विशेष रूप से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में पूंजी निर्माण की गति को तेज करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए।

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