डी-धान की खेती में कारगर साबित हो रही डीएसआर तकनीक से कम लागत में हासिल कर सकते है अधिक मुनाफा

डी-धान की खेती में कारगर साबित हो रही डीएसआर तकनीक से कम लागत में हासिल कर सकते है अधिक मुनाफा

हलधर किसान। खेती में मजदूरों की कमी हमेशा से चिंता का विषय रही है। धान की खेती में भी मजदूर न मिलने से रोपाई में किसानों को बेहद परेशान होना पड़ता है।  महंगी होती मजदूरी से खेती की लागत भी काफी बढ़ जाती है, जिससे किसानों को धान की खेती करने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यह कार्य काफी मेहनत भरा होता है. मसलन, धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार करना, रोपाई करना, रोपाई के खेत की तैयारी जैसे काम करने होते हैं, जो किसानों की लागत को बढ़ाते ही हैं साथ ही उनका समय भी खराब करते हैं.ऐसे में डीएसआर तकनीक किसानों के लिए राहत भरी साबित हो सकती है। 

डीएसआर धान की रोपाई की एक ऐसी तकनीक है जिसमें मैन्युअली या मशीनों के माघ्यम से धान को सीधे मिट्टी में लगाया जाता है. इस तकनीक में किसानों को पहले नर्सरी में पौधों को उगाने की और फिर उसे खेत में रोपाई करने की जरूरत नहीं होती है. इन दोनों की स्थिति में पूरी तरह से खेत में पानी भरे होने की आवश्यकता होती है. इससे अलग डीएसआर विधि कई वर्षों से प्रचलन में है पर भारत के प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में इस विधि ने लोकप्रियता हासिल नहीं की है. 

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अध्ययन में पाया गया कि अगर परिस्थितियां धान की खेती के लिए अनुकूल रहती हैं तो डीएसआर विधि से धान की पैदावार रोपाई विधि से अधिक होती है. हालांकि डीएसआर विधि से खेती करने वाले किसानों ने बताया कि इस तकनीक में खरपतवार का नियंत्रण करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती रहती है. डीएसआर विधि से खेती करने वाले 89 प्रतिशत किसानों ने इस समस्या के बारे में कहा. किसानों ने यह भी कहा कि खरपतवार के कारण उनकी उपज में कमी होती है.

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि डीएसआर तकनीक को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे संगठनों के प्रयास के कारण लगभग 68 फीसदी किसान पारंपरिक धान की खेती को छोड़कर डीएसआर तकनीक को अपना रहे हैं. ऐसे मामलों में भी जहां डीएसआर में उपज पारंपरिक तरीकों से कम है, वहां पर किसान श्रम, लागत और अन्य जरूरतों को घटाकर भी डीएसआर तकनीक से खेती करना जारी रख रहे हैं.

डीएसआर तकनीक से कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है

इस मशीन से धान की खेती करने के लिए किसानों को धान की नर्सरी तैयार करने की आवश्यकता नहीं होती है. इस संबंध में समय-समय पर केंद्र किसानों को प्रशिक्षित भी करता है. आशीष राय बताते हैं कि डीएसआर मशीन के माध्यम से किसान धान की बीजों से सीधे खेत में बुवाई कर सकते हैं. इससे बुवाई करने पर श्रमिकों तथा पानी की कम आवश्यकता होती है. साथ ही अधिक क्षेत्र में कम समय के अंदर बुआई को पूरा किया जा सकता है.

डीएसआर मशीन का पूरा नाम डायरेक्ट सीडेड राइस मशीन है. यह मशीन धान की परंपरागत रोपाई से हटकर कार्य करती है. इस मशीन से बुवाई करने से पहले खेत को लेजर लैंड लेवलर से समतल कराने की जरूरत होती है. उसके बाद डीएसआर मशीन के द्वारा बुवाई की प्रक्रिया को किया जाता है. इसके बाद इस मशीन से खाद और बीज को एक साथ बोया जाता है. यह मशीन बुआई करते समय खेत की भूमि में पतली लाइन चढ़ाती है. मशीन के साथ लगी दो अलग-अलग पाइप से उर्वरक और बीज अलग-अलग गिरता है. जिससे धान की बीज की बुआई होती है.

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