जल-संरक्षण के प्रति वर्तमान पीढ़ी गम्भीरता से विचार करेगी तो देश का भविष्य होगा उज्जवल : केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री शेखावत

मांडव में सुजलाम संगोष्ठी में शामिल हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री

हलधर किसान। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मांडव के जहाज़ महल में “पँच तत्वों में से एक जल और पर्यावरण” विषय पर आयोजित संगोष्ठी सुजलाम में शामिल हुए। उन्होंने कहा है कि अगर वर्तमान पीढ़ी जल-संरक्षण के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेगी तो देश का भविष्य उज्ज्वल होगा। जल-संरक्षण पर व्यापक विचार-विमर्श, चिंतन के साथ पानी की एक-एक बूँद के संरक्षण की अपील की। उन्होंने कहा कि लोगों के लिए पानी बचाने के महत्व को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आत्म-निर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। प्रदेश के औधोगिक नीति एवं निवेश संवर्धन मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी मौजूद थे।

केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत ने कहा कि हमारी संस्कृति ऐसी है जो हमें देता है, वही देवता है। जल अग्नि वायु आदि का उल्लेख कर उन्होंने कहा देश में नदियों को देवी मान कर पूजा की जाती रही है। जलवायु परिवर्तन के दौर में पानी की उपलब्धता बनाए रखना बड़ी चुनौती है। भारत एक बड़ी अर्थ-व्यवस्था के रूप में सामने आया है। इस बढ़ती अर्थ-व्यवस्था के साथ ऊर्जा और पानी की चिंता भी स्वाभाविक है। पानी के अति दोहन से बचना होगा। हमारे ऋषि मनीषियों ने तो पहले ही समझ लिया था कि पानी को महत्व दिलाना होगा। इसलिए उन्होंने पंचतत्व में उसको महत्वपूर्ण स्थान दिया। इस आयोजन का उद्देश्य है पंचतत्व के माध्यम से हम पानी जैसे तत्वों पर बात करें। पूरे विश्व को एक नई दृष्टि प्रदान करें, जिससे दुनिया एक बार फिर यह समझे कि भारत हमें मार्गदर्शन देता है। वर्तमान में प्रतिवर्ष जो पानी बरसता है, उसमें से बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद हो जाता है। हमारे पास पानी को सहेजने की क्षमता उतनी नहीं है। हम बड़ी मात्रा में पानी समुद्र में भेजने को मजबूर है। इसके लिए जरूरी है कि हम अब बड़े बांध बनाए और जमीन पर ही पानी संग्रह करें।

मंत्री श्री शेखावत ने कहा कि हमें एक-एक बूँद की कीमत समझना होगी। वर्तमान में हमारे पास में जो पानी उपलब्ध होता है, उसमें से 5 प्रतिशत पानी हम घरेलू उपयोग में लेते हैं, जबकि 5 प्रतिशत पानी उद्योग जगत के लिए उपयोग किया जाता है और 89 प्रतिशत पानी खेती में खर्च होता है। यदि हम ऐसी तकनीक और ऐसी व्यवस्थाएँ किसानों को दे, जिससे हम इसमें से केवल 5 प्रतिशत पानी बचाने की स्थिति में आ जाएँ, तो हमारे पास घरेलू और अन्य उपयोग हेतु पानी सरप्लस में उपलब्ध होगा। जल-तत्व पर चर्चा का दौर शुरू हो गया है। हम जल शक्ति मंत्रालय से इसे अन्य स्थानों पर भी करने जा रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर का जल-तत्व पर कार्यक्रम दिसंबर में उज्जैन में होगा। प्रस्तावित तिथि 27 से 29 दिसंबर है। यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन अपने आप में महत्वपूर्ण होगा।

कार्यक्रम को कुलपति भीमराव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू डॉ. दिनेश शर्मा ,दीनदयाल शोध संस्थान के सचिव अतुल जैन, जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय, कार्यपालक निदेशक डॉ. धीरेन्द्र पाण्डेय, महामण्डलेश्वर मोहनदास महाराज, महामण्डलेश्वर डॉ. नरसिंहदासजी महाराज, गोपाल आर्य ने सम्बोधित किया। पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, डॉ. रमेश जालान एडवाईजर यूएन एवं डॉ. जितेन्द्र जामदार उपाध्यक्ष जन अभियान परिषद उपस्थित रहे।

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