ग्रीष्मकाल में मूंगफली की खेती से कमाए लाखों रुपए जाने कैसे ?

मूंगफली की खुदाई

हलधर किसान (ग्रीष्मकालीन खेती)। मूंगफली एक तिलहनी फसल होने के साथ-साथ यह दलहनी फसल भी है, जिससे भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा मिलती है. इसमें 45 से 50 प्रतिशत तेल तथा 26 प्रतिशत प्रोटीन होता है. ग्रीष्मकालीन मूंगफली फसल से 7 क्विंटल प्रति एकड़ औसत पैदावार होती है जबकि खरीफ की मूंगफली में औसत पैदावार 5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की होती है.

ग्रीष्म काल मे मूंगफली की बुवाई के फायदे

  • वर्षा के मौसम में खरपतवारों के साथ कीट एवं रोगों का खतरा भी अधिक होता है। वहीं गर्मी में मौसम में मूंगफली की खेती करने से विभिन्न खरपतवार, कीट एवं रोगों के प्रकोप की संभावना काफी कम हो जाती है।

मूंगफली की बुवाई के लिए उपयुक्त समय

  • ग्रीष्मकालीन मूंगफली की बुवाई 15 मई से की जा सकती है।
  • खरीफ मौसम में खेती के लिए इसकी बुवाई जून से अक्टूबर महीने तक की जा सकती है।
  • जायद मौसम में खेती करने के लिए मूंगफली की बुवाई जनवरी के आखिरी सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक की जाती है।

ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती के खेत तैयार करने की विधि

  • मूंगफली का फैलाव भूमि के अंदर होता है। जड़ों के विकास के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है। इसलिए खेत तैयार करते समय 1 बार 12 से 15 सेंटीमीटर गहरी जुताई करें।
  • गहरी जुताई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जुताई 15 सेंटीमीटर से अधिक गहरी न हो। बहुत अधिक गहरी जुताई करने पर फलियां भी अधिक गहराई में बनेंगी। जिससे खुदाई के समय कठिनाई हो सकती है।
  • इसके बाद 2 से 3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से हल्की जुताई करें।
  • अच्छी पैदावार के लिए जुताई के समय प्रति एकड़ भूमि में 4 टन गोबर की खाद मिलाएं।
  • इसके अलावा प्रति एकड़ जमीन में 17.2 किलोग्राम यूरिया, 150 किलोग्राम सुपर फास्फेट एवं 13.2 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश मिलाएं।
  • सल्फर की पूर्ति के लिए खेत की आखिरी जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 80 किलोग्राम जिप्सम का प्रयोग करें।

बीज उपचारित करने की विधि

  • बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम 75 % डब्लू.एस. से उपचारित करें।
  • इसके अलावा प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम से भी उपचारित कर सकते हैं।
  • फसल को दीमक एवं सफेद लट जैसे भूमिगत कीटों से बचाने के लिए प्रति किलोग्राम बीज को 10 से 15 मिलीग्राम क्लोरपायरीफ़ॉस 20 ई.सी. से उपचारित करें।
  • कीटनाशक से बीज उपचारित करने के 5-6 घंटे बाद बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें।
  • राइजोबियम कल्चर से उपचारित बीज को 2-3 घंटे छांव में सूखाने के बाद बुवाई करें।

बुवाई की विधि

  • बीज की बुवाई क्यारियों में करें। इससे खरपतवार नियंत्रण एवं सिंचाई में आसानी होती है।
  • सभी क्यारियों के बीच 45 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
  • पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें।
  • बीज की बुवाई 5 से 6 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
  • बुवाई के बाद दानों को मिट्टी से ढक दें।
मूंगफली की खुदाई 1

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण

  • ग्रीष्मकालीन मूंगफली की फसल में पर्याप्त मात्रा में नमी होना बहुत जरूरी है। नमी की कमी होने पर मूंगफली के जमाव में कठिनाई होती है।
  • सिंचाई के समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में जल जमाव न हो।
  • खेत में नमी की मात्रा बनाए रखने के लिए पलेवा देकर बुवाई करें।
  • अंकुरण के बाद पहली सिंचाई करें।
  • पौधों में फूल निकलने के समय दूसरी सिंचाई करें।
  • बुवाई के 45-50 दिनों के बाद तीसरी सिंचाई करें।
  • फलियों में दाने बनते समय चौथी सिंचाई करें।
  • खुदाई से एक सप्ताह पहले आखिरी सिंचाई करें।
  • निराई-गुड़ाई के लिए खुरपी या हैंड हो का प्रयोग कर सकते हैं।
  • बुवाई के 40-45 दिनों के बाद निराई-गुड़ाई के बाद पौधों पर मिट्टी चढ़ाएं।

मूंगफली की खुदाई

  • मूंगफली की पुरानी पत्तियां पीली हो कर झड़ने लगे तब खुदाई कर लेनी चाहिए।
  • खुदाई के बाद पौधों के छोटे भागों में बांध कर धूप में सूखाएं।
  • सूखाने के बाद फलियों को पौधों से अलग करें।
  • फलियों को तेज धूप में सूखाने से बचें। तेज धूप में सूखाने से दानों की अंकुरण क्षमता में कमी आती है।

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