Garden in the Sky: पर्यावरण प्रेमी दंपत्ति ने घर की छत को बना दिया हरा-भरा जन्नत!

पर्यावरण प्रेमी दंपत्ति ने घर की छत को बना दिया गार्डन गर्मी में भी लहलहा रहे फलों के साथ औषधिय पौधे

कांतिलाल कर्मा खरगोन मप्र। हर व्यक्ति का कुछ ना कुछ शौक जरूर होता है। शौक को पूरा करने के लिए मेहनत भी करते हैं। इसी तरह शहर के नूतन नगर निवासी उपाध्याय दंपत्ति को बागवानी का शौक है। इस शौक के चलते इन्होंने पूरे छत को हीं गार्डन बना रखा है। छत पर गमलों में हीं फल, फूल औषधीय पौधे सहित सब्जी लगा रखी है जो न केवल छत की सुंदरता बढ़ा रहे है, बल्कि इन्हें ताजे, फल. सब्जियां भी मुहैया हो रही है। 

सेवानिवृत्त शिक्षक गिरीश उपाध्याय एवं उनकी पत्नि श्रीमती रजनी उपाध्याय ने बताया कि छत पर अलग-अलग वैरायटी के करीब 150 से अधिक पौधे है। छत पर लगे बागवानी का पूरा ख्याल रखते हैं। गर्मी के मौसम में शाम और सुबह दोनों समय पानी डालना पड़ता है। वहीं अच्छी उपज के लिए जैविक खाद का प्रयोग करते हैं।

पर्यावरण प्रेमी दंपत्ति ने घर की छत को बना दिया हरा-भरा जन्नत!

श्रीमति उपाध्याय ने बताया कि वह  बचपन से पर्यावरण को तवज्जो देती है, यही कारण है कि छत पर बागवानी के साथ ही पक्षियों के लिए 12 महिने सकोरे में दाना. पानी रखा जाता है, छत सहित घर के बालकनी में रखे पौधों पर पंछियों ने घोंसला बना रखा है। उपाध्याय दंपत्ति के घर का नजारा देखें तो हर जगह आपको पौधे नजर आएंगे।

श्रीमति उपाध्याय ने बताया कि 5 से 10 तरह के अच्छी क्वालिटी का फूल जिसमें अलग. अलग रंगों के गुलाब, कमल चंपा, अडेनियम के साथ ही सब्जियों में तुरई, पालक, टमाटर लगा हुआ है। उन्होंने बताया कि बागवानी पूरी तरह से जैविक तरीके से करते हैं। बागवानी से प्राप्त होने वाले फल और फूल सहित औषधीय पौधे घर पर ही उपयोग करते हैं।

उल्लेखनीय है कि श्रीमति उपाध्याय प्रकृति प्रेमी होने के साथ ही सामाजिक एवं रचनात्मक गतिविधियों में भी रूचि रखती है, हाल में दुरदर्शन पर ये है नारी शक्ति विषय पर एक खास मुलाकात कार्यकम में प्रस्तुत हुआ था, जिसे काफी सराहा जा रहा है। 

ग्लोबल वार्मिग से बचने का सुगम तरीका 

उपाध्याय दंपत्ति ने छत पर खेती कर नवाचारी होने का प्रमाण दिया है। उन्होंने इसे ग्लोबल वार्मिग से बचने का सुगम तरीका भी बताया है। श्री उपाध्याय ने कहा कि इससे ग्लोबल वार्मिग के दुष्परिणाम के फलस्वरूप जलवायु परिवर्तन के इस युग में खास कर कृषि एवं पर्यावरण के क्षेत्र में सर्वाधिक नुकसान हो रहा है।

उपाध्याय दंपत्ति ने छत पर खेती कर नवाचारी होने का प्रमाण दिया है

इस नुकसान से बचने एवं घरेलु महिलाओं और बेरोजगार नवयुवकों को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में छत पर फलो साग- सब्जियों और औषधीय पौधों की खेती एक नई संभावनाओं से भरा क्षेत्र हैं।

इससे मनुष्य के व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार, आर्थिक लाभ तथा पर्यावरण में सुधार के क्षेत्र में महती भूमिका निभाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधन खासकर भूमि एवं जल की उपलब्धता सीमित है।

साथ ही जमीन, पानी और अन्य कृषि जन्य संसाधनों की उपलब्धता से जुड़े पर्यावरणीय एवं पारिस्थितिकी के प्रभाव के फलस्वरूप आधुनिक कृषि प्रणालियों को और अधिक कारगार बनाने की जरूरत है, ताकि बढ़ती जनसंख्या की खाद्यान्न की मांग की पूर्ति की जा सके।

सब्जी फल-फूल सब्जी का उत्पादन करने से आम शहरीजनों को महंगाई और केमिकलयुक्त सब्जियों से निजात मिल सकती है एवं परिवार की आवश्यकता के अनुरूप उत्पादन किया जा सकता है। छत पर खेती करना सामान्य खेती करने से अलग है।  

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