राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोले. केंद्रिय सहकारिता मंत्री शाह
हलधर किसान (नई दिल्ली)। भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) द्वारा सहकारी क्षेत्र में उन्नत और पारंपरिक बीजोत्पादन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए। उन्होंने इस संगोष्ठी में कहा कि पीएम मोदी की पहल से बाजरा के लिए एक बाजार विकसित हो गया है।
मंत्री ने कहा कि हमारा एक बहुत बड़ा उद्देश्य यह भी है कि पारंपरिक बीजों संरक्षण किया जाए, क्योंकि हमारे पास बीज की लाखों नस्ल हैं, लेकिन इनके बारे में पूरी जानकारी सरकारी विभागों को भी नहीं है। उन्होंने बीबीएसएसएल सदस्यों को सदस्यता प्रमाण पत्र भी वितरित किए।
इस अवसर पर केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बी एल वर्मा, सचिव, सहकारिता मंत्रालय और सचिव, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय सहित उपस्थित थे।
श्री शाह ने कहा कि आज का दिन देश के सहकारिता आंदोलन, किसानों और अन्न उत्पादन के क्षेत्र में नई शुरूआत की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में भारत में बीज संरक्षण, संवर्धन और अनुसंधान के क्षेत्र मे बीबीएसएसएल का बहुत बड़ा योगदान होगा।
देश के हर किसान को आज वैज्ञानिक रूप से बनाया और तैयार किया गया बीज उपलब्ध नहीं है, इसीलिए ये हमारी जि़म्मेदारी है कि इस विशाल देश के हर किसान के पास प्रमाणित और वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया बीज पहुंचे और ये काम भी यही सहकारी समिति करेगी।
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आज भारत में ही बीजों की आवश्यकता लगभग 465 लाख क्विंटल है, जिसमें से 165 लाख क्विंटल सरकारी व्यवस्था से उत्पादित होता है और कोऑपरेटिव व्यवस्था से ये उत्पादन 1 प्रतिशत से भी नीचे है, हमें इस अनुपात को बदलना होगा।
कोऑपरेटिव के माध्यम से बीज उत्पादन के साथ जो किसान जुड़ेंगे, उन्हें बीज का मुनाफा सीधे मिलेगा। भारत के घरेलू बीज बाजार का वैश्विक बाज़ार में हिस्सा सिर्फ 4.5 प्रतिशत है, इसे बढ़ाने की ज़रूरत है और इसके लिए बहुत काम करना होगा। श्री शाह ने कहा कि हमें इस भारतीय बीज सहकारी समिति के अगले 5 सालों के लक्ष्य तय करने होंगे।
उन्होंने कहा कि हमारी किसी से कोई स्पर्धा नहीं करना चाहती है, बल्कि हमारा लक्ष्य है कि मुनाफा किसान के पास पहुंचे, प्रमाणित बीजों का उत्पादन बढ़े और इनके निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़े।
बीज भंडार ने किया किसानो का समाधान!
उन्होंने कहा कि लाखों गांव में हर किसान के पास परंपरागत बीज उपलब्ध हैं, इसका डेटा बनाना, संवर्धन करना, संवर्धित करना और इसका वैज्ञानिक एनालिसिस करके इसके सकारात्मक पहलुओं का एक डेटा बैंक तैयार करना बहुत बड़ा काम है, जिसे भारत सरकार करेगी।