खजुराहो से पीएम मोदी द्वारा ‘केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना’ का शिलान्यास

खजुराहो से पीएम मोदी द्वारा केन बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना का शिलान्यास

ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना का लोकार्पण एवं 1153 नवीन अटल ग्राम सेवा सदन का भूमिपूजन किया गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास किया। इस योजना से मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के लोगों की पेयजल समस्या दूर होगी। साथ ही सिंचाई के लिए भी जल की उपलब्धता होगी। इस परियोजना में बनाए जाने वाले बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर पानी का संग्रहण करने की क्षमता होगी। 

क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना?

इस परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचाई और 2.13 किलोमीटर लंबाई वाला बांध बनाया जाएगा। इसे दौधन बांध कहा जाएगा। इसके साथ ही दो टनल का निर्माण कर बांध में 2,853 मिलियन घन मीटर पानी को स्टोर किया जाएगा।

इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ मध्य प्रदेश को होगा। मध्य प्रदेश के पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी एवं दतिया इससे लाभान्वित होंगे। वहीं उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बांदा में भी पानी पहुंच सकेगा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा वीरों की धरती ई बुंदेलखंड पै रैवे वारे सबई जनन खों हमाई तरफ़ से हाथ जोर कें राम राम पौचे। मध्यप्रदेश के गर्वनर मंगू भाई पटेल, यहां के कर्मठ मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री  शिवराज सिंह, वीरेंद्र कुमार, सीआर पाटिल, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ला , अन्य मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण, अन्य सभी महानुभाव, पूज्य संत गण और मध्यप्रदेश के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों। आज पूरे विश्व में क्रिसमस की धूम है। मैं देश और दुनिया भर में उपस्थित इसाई समुदाय को क्रिसमस की ढेर सारी बधाई देता हूं। मोहन यादव जी के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार का एक साल पूरा हुआ है। मध्यप्रदेश के लोगों को, भाजपा के कार्यकर्ताओं को मैं बहुत बहुत बधाई देता हूं। इस एक वर्ष में एमपी में विकास को एक नई गति मिली है। आज भी यहां हजारों करोड़ रुपयों की विकास परियोजनाओं की शुरूआत हुई है। आज ऐतिहासिक केन बेतवा लिंक परियोजना का दौधन बांध का शिलान्यास भी हुआ है। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट, उसका भी लोकार्पण हुआ है और ये मध्यप्रदेश का पहला floating plant है। मैं इन परियोजनाओं के लिए एमपी के लोगों को ढेर सारी बधाई देता हूं।

साथियों,

जब देश में अटल जी की सरकार बनी तो उन्होंने पानी से जुड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए गंभीरता से काम शुरू किया था। लेकिन 2004 के बाद, उनके प्रयासों को भी जैसे ही अटल जी की सरकार गई, वो सारी योजनाए, सारे सपने, ये कांग्रेस वालों ने आते ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब आज हमारी सरकार देशभर में नदियों को जोड़ने के अभियान को गति दे रही है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट का सपना भी अब साकार होने वाला है। केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड क्षेत्र में समृद्धि और खुशहाली के नए द्वार खुलेंगे। छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह और सागर सहित मध्यप्रदेश के 10 जिलों को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा।   अभी मैं मंच पर आ रहा था। मुझे यहां अलग अलग जिलों के किसानों  से मिलने का मौका मिला, मैं उनकी खुशी देख रहा था। उनके चेहरों पर आनंद देख रहा था। उनको लगता था कि हमारी आने वाली पीढ़ियों का जीवन बन गया है। 

साथियों,

उत्तरप्रदेश में जो बुंदेलखंड का हिस्सा है, उसके भी बांदा, महोबा, ललितपुर और झांसी जिलों को फायदा होने वाला है।

साथियों, 

मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बना है, जहां नदियों को जोड़ने के महाअभियान के तहत दो परियोजनाएं शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले ही मैं राजस्थान में था, मोहन जी ने उसका विस्तार से वर्णन किया। वहां पार्वती-कालीसिंध-चम्बल और केन-बेतवा लिंक परियोजनाओं के माध्यम से कई नदियों का जुड़ना तय हुआ है। इस समझौते का बड़ा लाभ मध्य प्रदेश को भी होने जा रहा है।

साथियों,

आज हम सभी के लिए बहुत ही प्रेरणदायी दिन है। आज श्रद्धेय अटल जी की जन्म जयंती है। आज भारत रत्न अटल जी के जन्म के 100 साल हो रहे हैं। अटल जी की जयंती का ये पर्व सुशासन की सु सेवा की हमारी प्रेरणा का भी पर्व है। थोड़ी देर पहले जब मैं अटल जी की स्मृति में डाक टिक्ट और स्मारक सिक्का जारी कर रहा था, तो अनेक पुरानी बाते मन में चल रही थी। वर्षों वर्षों तक उन्होंने मुझ जैसे अनेक कार्यकर्ताओं को सिखाया है, संस्कारित किया है। देश के विकास में अटल जी का योगदान हमेशा हमारे स्मृति पटल पर अमिट रहेगा। मध्यप्रदेश में 1100 से अधिक अटल ग्राम सेवा सदन के निर्माण का काम आज से शुरू हो रहा है, इसके लिए पहली किस्त भी जारी की गई है। अटल ग्राम सेवा सदन गांवों के विकास को नई गति देंगे। 

क्यों पड़ी इस परियोजना की जरूरत?

भारत इतना विशाल देश है कि यहां काफी विविधता पाई जाती है। किसी हिस्से में सूखा पड़ जाता है, तो कहीं ज्यादा पानी की वजह से बाढ़ आ जाती है। इस समस्या को कम करने के लिए नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान बनाया गया था।

इस प्लान में पूरे देश में कुल तीस रिवर इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट बनाने की योजना है। साधारण भाषा में कहें, तो देश की सभी नदियों को एक-दूसरे से कनेक्ट कर दिया जाएगा, जिससे किसी हिस्से का अधिक पानी वहां पहुंच सके, जहां पानी की कमी है। केन-बेतवा रिवर लिंकिंग प्रोजेक्ट इस प्लान की पहली कड़ी है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में केन-बेतवा नदी जोड़ो अभियान की शुरूआत से सिंचाई, पेयजल और उद्योग को पर्याप्त पानी देने की महत्वपूर्ण पहल हुई है। यह एक तरह से ऐतिहासिक घटना है। इससे बुंदेलखंड के 10 जिले लाभान्वित होंगे। इन जिलों में पानी की कमी की वजह से रोजगार की तलाश में पलायन होता था। दूसरी नदी जोड़ो परियोजना पार्वती-कालीसिंध और चंबल (पीकेसी) है, जो चंबल और मालवा क्षेत्र को लाभान्वित करेगी। चंबल क्षेत्र कष्ट में इसलिए था क्योंकि वहां पर खेती के अवसर कम थे। परियोजना से मुरैना, ग्वालियर, भिण्ड, गुना,शिवपुरी, राजगढ़ और उसके आगे पश्चिमी मालवा तक रतलाम, नीमच और मंदसौर तक कुल 11 जिलों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता हो सकेगी।

कहां है केन और बेतवा नदी का उद्गगम स्थल

  • केन बुंदेलखंड में बहने वाली प्रमुख नदी है। इसका उद्गम कैमूर पर्वतमाला से होता है। मध्य प्रदेश ने निकलकर यह नदी उत्तर प्रदेश के बांदा में यमुना से मिल जाती है। इसे यमुना की अंतिम उपहायक नदी कहा जाता है।
  • बेतवा भी एक महत्वपूर्ण नदी है। इसे बुंदेलखंड की गंगा कहा जाता है। इसकी शुरुआत रायसेन जिले के कुमरा गांव के समीप विन्ध्याचल पर्वत से होती है। यह नदी भोपाल, ग्वालियर, झांसी, औरेया और जालौन से होते हुए हमीरपुर के पास यमुना में मिल जाती है।

पन्ना टाइगर रिजर्व पर असर

वैसे तो सुनने में ये काफी अनोखा लगता है कि सभी नदियों को एक-दूसरे से जोड़ दिया जाएगा। लेकिन ये उतना आसान भी नहीं है। जिन 30 रिवर इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट का प्लान तैयार किया गया है, उसे पूरा करने में दशकों लग जाएंगे।एक समस्या और है। इन प्रोजेक्ट से जितना फायदा होगा, उतना ही नुकसान होने की भी संभावना है। केन-बेतवा लिंक परियोजना की ही बात करें, इससे सबसे ज्यादा नुकसान पन्ना टाइगर रिजर्व को होगा। इसके चलते रिजर्व का 57.21 वर्ग किलोमीटर हिस्सा पानी में डूब जाएगा।

लिंकिंग प्रोजेक्ट के फायदे-नुकसान

ये तो सच है कि अगर नदियों को एक-दूसरे से कनेक्ट कर दिया जाए, तो इससे कई इलाकों का सूखा समाप्त हो जाएगा और क्षेत्र का विकास होगा। नई पनबिजली परियोजनाएं शुरू हो सकेंगे और पीने के पानी की किल्लत भी दूर हो जाएगी। लेकिन ऐसी परियोजनाओं के नुकसान भी हैं।इससे जंगल और दूसरे कई इलाके डूब क्षेत्र में बदल सकते हैं। नदियों को जोड़ने से उनकी पारिस्थितिकी पर भी असर पड़ेगा। दुर्लभ मछलियों और जीवं-जंतुओं पर संकट आ सकता है। एक इलाके का पानी दूसरे इलाके में पहुंचने से हवा के पैटर्न में भी बदलाव आ सकता है, जिससे मौसम और मिट्टी की नमी पर असर पड़ सकता है।

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