निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन के प्रशिक्षण कार्यक्रम में चायना के मि. एलिक्स ने हुए शामिल
खरगोन,हलधर किसान। कपास की फसल में रासायनिक खादों का प्रयोग न करके किसान गोबर की खाद का उपयोग करें। जिससे भूमि की जल धारण क्षमता, वायु संचरण और कार्बन पदार्थ की मात्रा में वृद्धि होती है। गोबर की खाद फसलों के लिए उपयुक्त है।
यह जानकारी चायना की विक्टोरिया सिक्रेट के अधिकारी मिस्टर एलिक्स ने बुधवार को जिले के सुुदुर वनवासी अंचल भगवानपुरा जनपद के ग्राम जूना बिलवा में निरंजनलाल फाउंडेशन द्वारा आयोजित कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही। चायना से आए श्री एलिक्स जी ने कपास की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए रासायनिक का उपयोग कम कर, गोबर खाद का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। इसके अलावा महिला किसानों को खेती कार्य के निर्णय में शामिल करने की सीख भी दी।
कार्यक्रम में फाउंडेशन के आशुतोष अग्रवाल ने कहा कि निमाड़ के कपास की मांग विदेशों में अधिक है। हमारे यहां के कपास के रेशे की गुणवत्ता अन्य राज्यों के कपास के मुकाबले काफी बेहतर है। निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन कई वर्षो से कपास की गुणवत्ता के लिए निमाड़ जिले में काम कर रहा है, हमारा प्रयास है कि कम लागत में कैसे कपास की उन्नत फसल ली जाए और किसानों को लाभ पहुंचे।
बिटल रिजन साल्यूशन संस्था दिल्ली के राजीव बर्वा, अमूल मिश्रा, हेमंत राजपुत ने कपास की सघन खेती (HDPS) की जानकारी के साथ ही किसानों को जैव विविधता और रीजनएग्री पद्धति से खेती करके किसानो को किस तरह लाभ मिल सकता हैं। साथ ही कपास की काठी को खेतों में न जलाए इसे काले सोने में बदलना हे। जिसे राजीव बर्वा जी ने बायोचार नाम दिया। उसके बारे मे विस्तार से समझाया।
भारत में स्थित वर्धमान टेक्सटाइल कंपनी के प्रमुख अधिकारियों ने किसानों को कपास खेती में रेशे की गुणवत्ता किस तरह बनाए रखे, उसके लिए प्रेरित किया। साथ ही बताया कि, दिनरात मेहनत करते हे किसान। कपास उगाने वाले किसानो को अच्छा दाम मिले। निमाड़ में कपास की अच्छी पैदावार है। यदि एक मंच पर किसान और इंडस्ट्री एक साथ समाधान निकालेगी तो किसान की आय दोगुनी हो जाएगी।
विदेशी मेहमानों ने मध्य प्रदेश की अग्रणी कपास जीनिंग के के फाइबर्स जो कि खरगोन में स्थित हैं। उसका भी भ्रमण किया। के के फाइबर्स के डायरेक्टर प्रीतेश अग्रवाल ने बताया कि – किस तरह खेत से किसान और जिनिंग तक कपास पहुंचता हे उसकी प्रक्रिया और कपास से गठान बनने की प्रक्रिया को बताया।
निरंजन लाल संस्था की तरफ से रविन्द्र यादव क्लस्टर मेनेजर और अर्जुन सिंह पटेल परियोजना समन्वयक ने किसानो और विदेशी मेहमानों को धन्यवाद दिया। साथ ही बीटल संस्था की तरफ केविन शाहदरिया , दिव्या बासवानी ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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