पानी दो, पानी दो.. कलेक्ट्रेट में गूंजा नहरों में पानी दो का नारा…

पानी दो पानी दो. कलेक्ट्रेट में गूंजा नहरों में पानी दो का नारा

माइक्रो उद्वहन योजना के भरोसे कर दी बुआई, अब नही मिल रहा पानी

खाद के बाद अब नहरों में पानी छोडऩे की उठ रही मांग, कलेक्ट्रेट पहुंचे सैंकड़ों किसान 

उद्वहन योजना के भरोसे कर दी बुआई अब नही मिल रहा पानी

हलधर किसान, कांतिलाल कर्मा। मप्र के खरगोन जिले में रबी सीजन में अब तक खाद की किल्लत से जुझ रहे किसान अब नहरों, सिंचाई योजनाओं में पानी छोडऩे की मांग करने लगे है। किसानों का कहना है कि योजनाओं के भरोसे फसलों की बुआई कर दी, लेकिन अब तक पानी नही छोड़े जाने से फसलो ंपर संकट मंडरा रहा है। ऐसी ही शिकायतें मंगलवार को जिले के अलग- अलग गांवों से कलेक्ट्रेट पहुंची। 

मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय पहुंचे भीकनगांव जनपद के ग्राम चौंडी के ग्रामीणों ने माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना की नहर चालू कराने की मांग की है। किसान सुभाष कनोदे, दयानंद पटेल, मुकेश पटेल, सुभाष गणेश यादव, संजय यादव, हुकुम पटेल आदि ने बताया कि गांव में माइक्रो सिंचाई योजना का काम पुरा हो चुका है, गर्मी के दिनों में टेस्टिंग भी की गई थी। इसके बाद रबी सीजन में पानी देने का भरोसा दिया गया था, जिसके चलते क्षेत्र के किसानों ने गेहूं, चने की फसलों की बुआई कर दी है, लेकि अब तक नहर में पानी नही छोड़ा गया, जिससे फसलों पर सूखने का खतरा मंडरा रहा है। कई किसानों के पास सिंचाई की व्यवस्था नही है, वहीं जिनके खेतों में कुंए, बोरिंग है वहां भी जलस्तर कम होने से आने वाले दिनों में पानी की कमी होगी, ऐसे में अगर समय रहे माइक्रो नहर शुरु नही कि गई तो किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। 

. इधर सरपंच पर लगाया नहर का पानी नही देने का आरोप

भगवानपुरा तहसील के ग्राम सेजला के ग्रामीणों ने बिस्टान उद्वहन सिंचाई योजना से कुछ किसानों को पानी नही मिलने की शिकायत दर्ज कराई है। किसानों ने आरोप लगाया कि सरपंच के खेत में योजना की पेटी लगाई गई है, जिससे सरपंच खुद के खेत सिंचित कर रहा है। 

कलेक्टर को की गई शिकायत में छगन झारसिंह, नवलीबाई, सरदार, बलराम, कैलाश आदि ने शिकायत में बताया कि शासन ने खेतों को सिंचित कर बेहतर उत्पादन के लिए सिंचाई योजना शुरु की है। हमारे खेत से गुजर रही नजर की 140 आरवन एवं 140 आरटू क्रमांक की पानी सप्लाय पेटियां लगाई गई है। इन पेटियों के जरिये सरपंच खुद के खेतों को सिंचित कर रहा, लेकिन हम आवेदको के यहां पानी नही दिया जा रहा, पानी की मांग करने पर विवाद हो रहे है। ग्रामीणों ने बैठक में भी पानी देने की बात रखी लेकिन उसे भी नकारा गया। ग्रामीणों ने मांग की है कि सरपंच की मनमानी पर रोक लगाकर उनके खेतों को भी सिंचाई के लिए पानी दिया जाए। 

साटक तालाब से साटकुर नहर में पानी छोडऩे की मांग

कसरावद जनपद के ग्राम साटकुर, काटकुर, काछीपुरा के किसान साटक तालाब से छोड़े जाने वाली नहर में पानी छोडऩे की मांग की है। किसानों का आरोप है कि उक्त नहर को कुछ दबंग किसान खुद के खेतों तक ही सीमित रख रहे है, जिससे उनके गांव तक पानी नही पहुंच रहा है। 

कृषक सुरेश सिंह, रामचंद्र, रामकृष्ण, लक्ष्मण पाटीदार, देवीसिंह आदि ने बताया कि तालाब से करीब 500 एकड़ कृषि भूमि सिंचित होती है। वर्तमान में गांव के ही कुछ किसानों ने नहर का पानी अपने खेतों से आगे जाने से रोक दिया है। ऐसे में हमारे खेत सूखे पड़े है, जबकि हमने रबी फसलों की बुआई कर दी है। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि उक्त नहर पर किए गए एकाधिकार को खत्म कर सभी किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया जाए। 

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