श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा है द्वापरकालीन योग, 26 को रहेगा रोहिणी नक्षत्र 

jyotish dr. sandeep jain ji

हलधर किसान (ज्योतिष), अमजेर। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव याने जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त को भक्ति भाव और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। शहर के मंदिरों में जहां जन्मोत्सव पर नन्हे कान्हा को पालना झुलाने की तैयारियां हो रही है तो वही यादव समाजजनों द्वारा नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। 

ज्योतिषाचार्य सुदीप जैन (सोनी) अजमेर के अनुसार जन्माष्टमी कई मायने में खास होने जा रही है। इसकी पीछे की सबसे बड़ी वजह है, कि जन्माष्टमी में ठीक वैसे ही योग बन रहे हैं जैसे द्वापर काल में श्रीकृष्ण के जन्म के समय बने थे। इसलिए इस बार जन्माष्टमी के मौके पर श्रीकृष्ण की आराधना करने से काफी लाभ होगा।  

  भाद्रपद मास, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, सोमवार या बुधवार, वृषभ राशि का चंद्र, ये सभी योग इस बार जन्माष्टमी पर बन रहे हैं। यह योग जयंती के नाम से प्रसिद्ध है। इस प्रकार का दुर्लभ संयोग युगों.युगों तक पुण्य संचय से प्राप्त होता है। जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र 26 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होगा और 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगा।  

जन्माष्टमी के पूजन का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त को दोपहर 12 से 27 अगस्त की देर सुबह 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण जन्म अष्टमी तिथि की मध्य रात में हुआ था, तब रोहिणी नक्षत्र भी था और 26 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र और तिथि अष्टमी दोनों है। लिहाजा गृहस्थजन 26 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे।

बन रहे यह शुभ योग  –

जन्माष्टमी पर वैसा ही संयोग बन रहा है जैसा तब बना था जब नंदलाल ने द्वापर युग में इस धरती पर जन्म लिया था। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे हुआ था। इसके साथ ही सूर्य, सिंह राशि में और चंद्रमा वृष राशि में हैण् ऐसा ही श्रीकृष्ण के जन्म के समय भी था।

इस बार 26 अगस्त 2024 को हर्षण योग और जयंत योग भी बन रहा है जो ये बताता है कि इस जन्माष्टमी को कृष्ण की आराधना करने से मन मांगी मुराद पूरी होगी और काफी लाभ मिलेगा। ये एक बहुत दुर्लभ योग है और ऐसा बार.बार देखने को नहीं मिलता है। 

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