ड्रोन ने खेत मे दवाई छिड़काव का काम किया आसान

7 मिनट में एक एकड़ खेत मे हो जाता है दवाई छिड़काव

हलधर किसान। कृषि ड्रोन यानी खेती में इस्तेमाल होने वाला ड्रोन तकनीक से जुड़ी खेती करने वालों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। खेतों में दवा का छिड़काव करने में समय और लागत दोनों अधिक लगते हैं । ड्रोन की मदद से इसमें न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि लागत भी 25 फ़ीसदी तक कम आएगी। ऐसे ही एक एग्रीकल्चर ड्रोन वाऊ गो ग्रीन कंपनी ने बनाया है । इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. शंकर गोयनका ने बताया कि कैसे यह ड्रोन छोटे व सीमांत किसानों के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है।
इसमें 10 लीटर पानी और दवा भरिए और यह खेत के ऊपर उड़कर 5 से 7 मिनट में एक एकड़ खेत में छिड़काव कर देता है। इसमें सामान्य तरीके के मुक़ाबले 25 फीसदी कम दवा डालनी पड़ती है। इससे किसानों को सीधा फ़ायदा होता है। इसके अलावा इससे पत्ते भी साफ होते हैं, जिससे फोटो सिंथेसिस अच्छा होता है। नतीजा, पौधा सूर्य की रोशनी को अच्छी तरह अवशोषित करता है और पौधों की उत्पादन क्षमता 12 से 15 फ़ीसदी बढ़ जाती है। कंपनी ने 200 जगहों पर ड्रोन का डेमोनस्ट्रेशन यानी प्रदर्शन किया है। उनका दावा है कि इसे फूलप्रूफ बनाया गया है, और इसमें सारे रडार और फीचर्स हैं।

इसके अलावा, इसमें बहुत बड़ा आंत्रप्रेन्योरशिप यानी स्वरोज़गार का मॉडल भी है। ड्रोन लेकर किसान गांव जाता है, इसकी ट्रेनिंग लेता है और जब अच्छी तरह से सीख कर जब दूसरों के खेतों में इसका छिड़काव करता है तो वो 200 से 500 रुपए तक चार्ज करता है । उनका कहना है कि किसान सालाना अच्छा ख़ासा पैसा भी कमा सकता है। यही वजह है कि खेती में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी कई नयी नयी योजनाएं लाने के साथ साथ सब्सिडी भी दे रही है ।

ऐग्रिकल्चर ड्रोन में नैनो लिक्विड यूरिया का इस्तेमाल होता है। 45 किलो की यूरिया को बोरी को फर्टिलाइज़र बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी इफको ने 500 मिली. की बोतल में बदल दिया, जिसका इस्तेमाल किसानों के लिए काफ़ी फायदेमंद है। इससे उनका ट्रांस्पोर्टेशन खर्च बचेगा। आमतौर पर फ़सलों में यूरिया 70 फ़ीसदी पौधों के ऊपर से और 30 फ़ीसदी नीचे से छिड़का जाता है । इसीलिए जब ड्रोन से इसका छिड़काव किया जाता है तो पौधा स्वस्थ होता है, यूरिया की एकदम सही मात्रा मिलती है और उत्पादन अधिक होता है।

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