केंद्र सरकार ने रबी फसलों का एमएसपी बढ़ाया

केंद्र सरकार ने रबी फसलों का एमएसपी बढ़ाया

हलधर किसान | किसानों को मोदी सरकार ने दिवाली पर बड़ा गिफ्ट दिया है. सरकार ने रबी फसलों की MSP बढ़ा दी है. केंद्र सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए रबी की 6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की घोषणा की है. इस फैसले के तहत अलग-अलग फसलों के MSP में वृद्धि की गई है, जिससे किसानों को उनकी फसलों के बेहतर दाम मिल सकेंगे.

सरकार का यह कदम किसानों को उनकी फसलों के उचित मूल्य दिलाने के मकसद से उठाया गया है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “रबी फसलों की एमएसपी बढ़ाई गई है. किसानों के कल्याण से जुड़ा आज सबसे बड़ा फैसला लिया गया. सरकार की सोच स्पष्ट है और किसानों के कल्याण पर पूरा ध्यान है. रबी विपणन सत्र के लिए एमएसपी को मंजूरी दे दी गई है. इस प्रक्रिया में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. सबसे बड़ी बात यह है कि कीमत लागत से पचास प्रतिशत अधिक होनी चाहिए. किसानों के उत्थान के लिए रबी फसल को लेकर फैसला लिया गया है. इसके लिए MSP में बढ़ोतरी की गई है.”

नए अधिसूचना के अनुसार:

  • गेहूं का MSP ₹2,425 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले ₹2,275 था.
  • जौ का MSP ₹1,980 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले ₹1,850 था.
  • चना का MSP ₹5,650 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले ₹5,440 था.
  • मसूर (लेंस) का MSP ₹6,700 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले ₹6,425 था.
  • सरसों का MSP ₹5,950 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले ₹5,650 था.
  • कुसुम (सफ्लॉवर) का MSP ₹5,940 प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पहले ₹5,800 था.

एमएसपी बढ़ने से किसानों को मिलेगा लाभ

केंद्र सरकार ने कहा है कि विपणन सीजन 2025-26 के लिए रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है। जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत (All-India weighted average cost of production) के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा की गई है।

अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन गेहूं के लिए 105 प्रतिशत है। इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत है। मसूर के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 60 प्रतिशत, जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत। रबी फसलों की इस बढ़ी हुई एमएसपी से किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।

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