हलधर किसान नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज बुधवार को जैव प्रौद्योगिकी विभाग की दो प्रमुख योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दे दी। इन योजनाओं को अब एक योजना के तहत -‘जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान नवाचार और उद्यमिता विकास (बायो-राइड)’ के रूप में एकीकृत कर दिया गया है, इसके तहत जैव विनिर्माण और जैव फाउंड्री नामक दो नए घटकों भी शामिल किया गया है। 2021-22 से 2025-26 के दौरान ‘बायो-राइड’ योजना के लिए 9197 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं।
बता दें कि बायो-राइड में तीन प्रमुख घटक जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास (आरएंडडी), औद्योगिक और उद्यमिता विकास (आईएंडईडी), और हाल ही में शुरू बायोमैन्युफैक्चरिंग और बायोफाउंड्री को भी शामिल किया गया है। इस योजना का उद्देश्य नवाचार, जैव-उद्यमिता और देश की जैव-निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देना है, साथ ही देश के हरित अर्थव्यवस्था को भी आगे बढ़ाना है।
यह योजना सीड फंडिंग, मेंटरशिप और इनक्यूबेशन कार्यक्रमों के माध्यम से जैव-उद्यमियों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, साथ ही सिंथेटिक बायोलॉजी, बायोफार्मास्युटिकल्स, बायोएनर्जी और बायोप्लास्टिक जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए सहायता राशि भी प्रदान करेगी। यह जैव-आधारित उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण में तेजी लाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान संगठनों और उद्योगों के बीच तालमेल बनाने का प्रयास करेगी।
यह योजना सतत जैव-निर्माण पर जोर देने के साथ, बायो-राइड पर्यावरण के अनुकूल जैव-अर्थव्यवस्था में योगदान करने में मदद करेगा। यह कृषि, स्वास्थ्य सेवा, जैव ऊर्जा और पर्यावरणीय स्थिरता सहित विभिन्न क्षेत्रों में शोधकर्ताओं का समर्थन करने के लिए बाह्य निधि भी मुहैया कराता है। इस योजना का उद्देश्य छात्रों, युवा शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की क्षमता निर्माण और कौशल में निवेश करके मानव संसाधन विकास को बढ़ावा देना है, ताकि उन्हें जैव प्रौद्योगिकी में विकास के लिए तैयार किया जा सके।
‘बायो राइड’ से 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जैव-अर्थव्यवस्था की उम्मीद
प्रधानमंत्री मोदी की ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली (LiFE)’ पहल के अनुरूप बायो-राइड का जैव-विनिर्माण घटक स्वास्थ्य सेवा, कृषि और विनिर्माण में पर्यावरण-अनुकूल समाधानों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करेगा।भारत की जैव-अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में बायो-राइड की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है, इस योजना से 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जैव-अर्थव्यवस्था प्राप्त करने में अहम योगदान की उम्मीद है। यह पहल ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो भारत को जैव प्रौद्योगिकी नवाचार, अनुसंधान और औद्योगिक विकास में अग्रणी रखेगा।
बायो-राइड योजना को नवाचार को बढ़ावा देने, जैव-उद्यमिता को प्रोत्साहित करने और जैव-विनिर्माण (बायोमैन्यूफैक्चरिंग) एवं जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस योजना का उद्देश्य अनुसंधान में तेजी लाना, उत्पाद विकास को बढ़ाना और अकादमिक अनुसंधान एवं औद्योगिक अनुप्रयोगों के बीच के अंतर को पाटना है। यह योजना स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, कृषि, पर्यावरणीय स्थिरता और स्वच्छ ऊर्जा जैसी राष्ट्रीय एवं वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए जैव-नवाचार की क्षमता का दोहन करने के भारत सरकार के मिशन का हिस्सा है। बायो-राइड योजना के कार्यान्वयन से-
जैव-उद्यमिता को बढ़ावा : बायो-राइड जैव-उद्यमियों को सीड फंडिंग, इनक्यूबेशन सपोर्ट और मेंटरशिप प्रदान करके स्टार्टअप के लिए एक समृद्ध इकोसिस्टम को विकसित करेगा।
उन्नत नवाचार: यह योजना सिंथेटिक बायोलॉजी, बायोफार्मास्यूटिकल्स, बायोएनर्जी और बायोप्लास्टिक्स जैसे क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास के लिए अनुदान और प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
सुगम उद्योग-अकादमिक सहयोग: बायो-राइड जैव-आधारित उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण में तेजी लाने हेतु शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान संगठनों और उद्योग जगत के बीच तालमेल बनाएगा।
टिकाऊ बायोमैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहन: भारत के हरित लक्ष्यों के अनुरूप, बायोमैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ कार्यप्रणालियों को बढ़ावा देने पर महत्वपूर्ण रूप से ध्यान दिया जाएगा।
बाह्य वित्त पोषण (एक्स्ट्रामुरल फंडिंग) के जरिए शोधकर्ताओं का समर्थन: बायो-राइड कृषि, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, जैव ऊर्जा (बायोएनर्जी) और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और व्यक्तिगत शोधकर्ताओं को बाह्य वित्त पोषण (एक्स्ट्रामुरल फंडिंग) का समर्थन करके जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।