किसानों को दिया काला सोना (बायोचार) बनाने पर प्रशिक्षण
हलधर किसान (खेती- किसानी)। किसानों को खेती के लिए कृषि भूमि को उपजाऊ बनाने लिए कार्बन की जरूरत होती है, लेकिन महंगे बायोचार कार्बन को खरीद नही पाते और भूमि की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है, लेकिन अब किसान अपने खेतों पर बिना किसी परेशानी के बायोचार बना सकते है।
इसके लिए कृषि के क्षेत्र में जागरुकता का कार्य कर रही संस्था निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन ने काला सोना (बायोचार) प्रशिक्षण शिविरों की शुरुआत की है, जिसमें किसानों को अपने खेतों में ही बायोचार बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
संस्था के बैनर तले मप्र के खरगोन जिले के ग्राम किरगांव में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिसमें दिल्ली की संस्था बीटल रीजन ओर सिंगापुर की सिर्कोनॉमी संस्था की मदद से किसानो को बायोचार बनाने की विधि बताई गई।
सिर्कोनॉमी केके ने बताया कि काठी से बायोचार बनाना बहुत हीआसान प्रकिया है। यदि किसान इस प्रकिया को करते हैं ओर अपनी फसल में गोबर खाद के साथ बायोचार भी डालते है तो उत्पादन बढ़ेगा, इसके लिए कुछ कंपनिया किसानो को आर्थिक मदद भी करती हैं। इसके अलावा संस्था सीआईटीआई, सीआरडीए के नितिन तोमर ने किसानों को अपनी संस्था की जानकारी देते हुए बताया कि यदि हम पुनर्याजी पद्धति से कपास फसल में प्रति एकड़ पौध संख्या बढ़ाएंगे तो उत्पादन भी बढ़ेगा साथ ही साथ बायोचार बनाने के लिए कपास काठी भी अत्यधिक मात्रा में किसानो को उपलब्ध रहेंगी।
क्या है बायोचार, कैसे होता है इसका प्रयोग
निरंजनलाल अग्रवाल फाउंडेशन के प्रीतेश अग्रवाल ने बताया किसानो के लिए प्रशिक्षण में बताई गई तकनिक से खेत पर बायोचार आसानी से बनाया जा सकता है। किसान अपने खेतों में बचे किसी भी प्रकार के कृषि वेस्ट से यह बायोचार विकसित किया जा सकता है और किसान अपने खेतों में प्रयोग कर सकता है। इससे किसानों को दुगुना फायदा होगा। प्रशिक्षण के दौरान आभार संस्था के मुकेश सिंह चौहान ने माना।