वकालत के साथ खेती में भी बनाई अलग पहचान, परंपरागत खेती के साथ बागवानी और सब्जी फसलों से लिख रहे सफलता की कहानी
हलधर किसान। वर्तमान समय में तेजी से बढ़ते कार्पोरेट जगत की प्रतिस्पर्धा के बीच भी युवा खेती को पहली प्राथमिकता दे रहे है। विदेशो सहित देश की प्रतिष्ठित कंपनियों, ऊंचे पदों, यहां तक की इंजीनियरिंग, डॉक्टरी और वकालत के बीच खेती के प्रति न केवल रुझान दिखा रहे बल्कि आधुनिक खेती में नवाचारों से अपनी अलग पहचान बना रहे है। ऐसे ही नवाचारों, प्रयोगों को लेकर मनावर तहसील के ग्राम बाकानेर निवासी पेशे से वकील विवेक बडज़ात्या खेती में सफलता की नई कहानी लिख रहे है।
विवेक बडज़ात्या (राठी) ने परंपरागत खेती से अलग नवाचार करते हुए आधुनिक खेती पर जोर दिया तो देखते ही देखते सीमित दायरे में हो रही खेती 90 बीघा खेत में होने लगी और आज विवेक न केवल तहसील बल्कि जिले के प्रगतिशील किसान के रुप में गिने जाते है।
हलधर किसान की धार जिले की टीम ने राठी कृषि साधना केंद्र पर श्री विवेक बडज़ात्या से मुलाकात कर कृषि क्षेत्र में उनके द्वारा किए जा रहे नित नए प्रयोगों, नवाचारों की सराहना करते हुए उनके अनुभव को भी सुना, जो इस अंक में प्रकाशित कर रहे है। बडजात्या न केवल क्षेत्र के किसानों बल्कि युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत का काम कर रहे है।
खेती के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में दे रहे योगदान
विवेक ने वकील की डिग्री हासिल करने के बाद खेती के साथ ही सामाजिक सरोकार से भी जुड़े है। खेती से जहां अन्न के भंडार भरने में अपना योगदान दे रहे है तो मनावर तहसील में विद्योदय इंटरनेशनल स्कूल, विद्योदय महाविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों को संचालन कर शिक्षा का उजियारा भी फैला रहे है।
पिता से मिली प्रेरणा
श्री विवेक ने बताया कि पिता रमेशचंद्रजी राठी एक बड़े वकील के रूप में प्रतिष्ठा हासिल करने के बाद भी वह खेती को पूरी लगन से समय देते थे। बचपन से ही पिता के साथ खेती.बाडी में मदद करने की यादों ने उन्हें खेती करने के लिए प्रेरित किया।
सिंचाई के अभाव में आधे खेत में ही होती थी बुआई
श्री विवेक ने बताया कि उन्होंने पिता के मार्गदर्शन में खेती करना सीखना शुरू किया, पहले आपने पारंपरिक खेती को सीखा, इसके बाद आपने पारंपरिक खेती से उन्नत कृषि की तरफ रुख किया और नई तकनीक पर ध्यान दिया। उन्होंने बताया कि उनके पास 90 बीघा खेत है, जिसमें केवल आधे खेत में गेहूं, चना, कपास, सोयाबीन, मक्का जैसी फसलो की बुआई की जाती थी, आधा खेत खाली रहता था।
इन नवाचारों से खेती को बनाया बेहतर
श्री विवेक बताते है कि खेत के समीप से बहने वाली नदी पर स्टॉप डेम बनने से सिंचाई में बेहद राहत मिली। कुएं, बोरिंग का जलस्तर भी बढ़ा। गर्मी में सिंचाई के लिए पानी की समस्या न हो इसलिये मल्चिंग विधि अपनाई। इससे बूंद.बूंद से सिंचाई कर 60 प्रतिशत पानी की बचत होने लगी है। शुरुआत में उन्होंने नींबू बगीचा और सागौन के पेड़ लगाया। ड्रीप विधि से पानी की खपत बहुत कम होती है और उत्पादन अच्छा रहता है। नींबू बगीचे से हुए मुनाफे के बाद नई फसलों को लगाने में कोई संकोच नही किया। कई फसलों और बागवानी में मल्चिंग विधि कारगर साबित हो रही है। इस विधि में सबसे पहले क्यारी में बेड बनाए जाते हैं। उसके ऊपर मल्चिंग पॉलिथीन बिछाई जाती है। जिसमें पौधे के लिए छेद कर लिए जाते हैं। इन छेदों में पौधों की रोपाई की जाती है। अधिकांशतया मल्चिंग विधि का प्रयोग करने वाले सिंचाई की ड्रिप विधि का भी प्रयोग करते हैं।
लहलहा रहे पपीते और हायब्रिड जाम के बगीचे
पपीते के लगभग 3000 से 4000 पौधों का बगीचा लगाया हाइब्रिड जाम के लगभग तीन चार हजार पौधे का बगीचा खेत में लहलहा रहा है। बडजात्या बताते है कि खेती में प्राकृतिक आपदाओं के चलते हमेशा एक सी फसल नही होती है, कई बार घाटे की खेती साबित होती है इसी को देखते हुए उन्होंने परंपरागत फसलें, सब्जी, फलों के बगीचे लगाए जिससे इनकी फसलों से उन्हें नुकसान नही उठाना पड़ता।
भाव के उतार- चढाव को देखते हुए करने लगे स्टोरेज
सब्जी, फसलों, फलों के भाव में सिजनेवल उतार-चढाव को देखते हुए इनका स्टोरेज भी शुरु करने की मंशा बनाई। पहली बार 7एकड के बड़े रकबे में प्याज लगाए लेकिन उपज आने पर भाव कम मिल रहे थे, जिसके चलते गोडाउन की व्यवस्था कि जहां फसलों का स्टोरेज होने लगा और अच्छे दाम मिलने पर बाजार में बिक्री के लिए ले जाते है।
गन्ने और केले के बगीचे में ले रहे रुचि
वर्तमान में आपकी विशेष रूचि गन्ने के केले के बगीचे में रही है। वर्ष 2018 में लगभग 5500 पौधे का बगीचा लगाया था, आज लगभग 9000 केले के पौधे का बगीचा है। श्री विवेक ने अपने संदेश में कहा कि हमारे किसान भाई उचित खाद दवाई और कुछ सावधानियां रखकर आधुनिक खेती से भी अच्छा मुनाफा ले सकते है। केले का अच्छा बाजार है। किसान संगठन जैसी संस्थाएं किसान को अच्छे दामों के लिए, अच्छे बाजार अच्छे व्यापारियों का ध्यान आकर्षित करने में सहयोग कर सकते हैं।
किसानों को भी देते है मार्गदर्शन
श्री विवेक खुद तो नई तकनीक सीखते हैं, साथ ही अपने साथी किसान भाइयों का मार्गदर्शन भी करते हैं। अपने व्यस्त समय के बीच में वे बाकानेर मनावर मार्ग पर संचालित हो रहे अपने खुद के प्रतिष्ठान राठी कृषि साधना केंद्र पर भी समय देते है। जहां आने वाले कृषको के साथ अपने अनुभव एवं कृषि साधना के आधार पर खेती में किए गए प्रयोगों और नवाचारो को साझा करते है। श्री बडजात्या पिछले 22 वर्षीय कृषि जीवन में कई उतार.चढ़ाव देखे पर सीखने की लगन हमेशा जारी रखी, जिसके चलते आज जिले के उन्नतशील एवं प्रगतिशील किसानों में अपनी अलग पहचान रखते है। विवेक बताते है की आज कई उच्च शिक्षित युवा पीढ़ी अपने अच्छे पैकेज से छोड़कर खेती की ओर आकर्षित हो रही है और खेती पर सरकार का भी बहुत बड़ा सहयोग मिल रहा है। हमारे पारंपरिक किसान भाई अपनी खेती की पद्धति में थोड़ा परिवर्तन करके अच्छा खासा लाभ कमा सकते हैं।