हलधर किसान (अजब- गजब)। क्या आपने कभी सुना या सोचा है कि बिना शुक्राणु, अंडे या गर्भाशय का इस्तेमाल किये मां भ्रूण तैयार किया जा सकता है। नही ना, लेकिन अब यह अजब- गजब कारनामा इजरायल करने जा रहा है।
इजरायल के वैज्ञानिकों ने शुक्राणु, अंडे या गर्भाशय का इस्तेमाल किए बिना प्रयोगशाला में स्टेम सेल से मानव भ्रूण का एक मॉडल बनाया है। यह भ्रूण के विकास के शुरुआती चरणों की एक अनूठी झलक पेश करता है। इजरायल के वीजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की टीम के अनुसार, यह मॉडल 14वें दिन के भ्रूण जैसा दिखता है। तब तक इस भ्रूण में आंतरिक संरचनाएं विकसित हो जाती हैं और शरीर के अंगों का निर्माण शुरू होता है। इसे मानव विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा कदम माना जा रहा है। अगर यह तकनीक आगे भी कामयाब होती है तो बच्चों को जन्म देने के लिए इंसानों की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, इस मुकाम तक पहुंचने में अभी काफी समय लग सकता है।
वास्तविक भ्रूण विकसित करना अब भी चुनौती
जून में बोस्टन में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर स्टेम सेल रिसर्च (आईएसएससीआर) की वार्षिक बैठक के दौरान प्री-प्रिंट सामने आने के बाद वैज्ञानिकों का काम बुधवार को नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ था। इजरायली टीम ने इस बात पर जोर दिया कि वे स्क्रैच से भ्रूण बनाने में सक्षण होने से अभी बहुत दूर हैं। इजरायली वैज्ञानिकों के टीम लीडर जैकब हन्ना ने कहा कि सवाल यह है कि एक भ्रूण मॉडल को कब भ्रूण माना जाता है? जब ऐसा होता है, तो हम नियमों को जानते हैं। फिलहाल हम वास्तव में उस बिंदु से बहुत दूर हैं।
भ्रूण के मॉडल से इंसानों को क्या होगा लाभ
उन्होंने कहा कि यह काम गर्भधारण पर दवाओं के प्रभाव का परीक्षण करने, गर्भपात और आनुवांशिक बीमारियों को बेहतर ढंग से समझने और शायद प्रत्यारोपण ऊतकों और अंगों को विकसित करने के नए तरीकों का रास्ता खोल सकता है। हन्ना ने कहा कि ये आइडेंटिकल नहीं है। इनमें मानव भ्रूण से काफी अंतर है, लेकिन फिर भी यह पहली बार है। अगर आप एटलस या किताब को खोलते हैं तो आप कह सकते हैं कि- हां मैं वास्तव में उनके बीच समानता को देख सकता हूं। उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने वयस्क मानव त्वचा कोशिकाओं के साथ-साथ प्रयोगशाला में संवर्धित अन्य कोशिकाओं से प्राप्त स्टेम सेल को लिया। फिर कोशिकाओं को विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में विकसित होने की क्षमता के साथ प्रारंभिक अवस्था में वापस कर दिया।
भ्रूण के मॉडल से वैज्ञानिकों को क्या फायदा हुआ
फिर उन्होंने संरचनात्मक रूप से एक भ्रूण जैसी किसी चीज का आधार बनाने के लिए उनमें हेरफेर किया। यह कोई वास्तविक या सिंथेटिक भ्रूण नहीं है, बल्कि यह एक मॉडल है जो दर्शाता है कि कोई कैसे काम करता है। हन्ना ने कहा, उनका अगला लक्ष्य 21वें दिन तक आगे बढ़ना और 50% सफलता दर की सीमा तक पहुंचना है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में विकास और स्टेम सेल के प्रोफेसर मैग्डेलेना सेर्निका-गोएट्ज ने कहा कि अध्ययन इस साल दुनिया भर की टीमों से प्रकाशित छह अन्य समान मानव भ्रूण जैसे मॉडलों में शामिल हो गया है, जिसमें उनका क्लिनिकल भी शामिल है।