हलधर किसान ,इंदौर। देशभर में लोडिंग- अनलोडिंग की बढ़ती कीमतों के बीच उर्वरको का मार्जिन बढ़ाने की मांग देशव्यापी आंदोलन के रुप में तब्दील हो रही है। मार्जिन कम होने से उर्वरक बिक्री का व्यापार नुकसान का व्यापार बन गया है, जिससे कई लोग इस व्यापार को बंद करने की कगार पर पहुंच गए है। यदि समय रहते सरकार इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नही देती है तो व्यापार को तो नुकसान होगा साथ ही किसानों को भी आसानी से उर्वरक मिलने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह चिंता जागरुक कृषि आदान विक्रेता संघ के जिलाध्यक्ष श्रीकृष्ण दुबे ने केंद्रिय उर्वरक, रसायन मंत्री जेपी नड्डा, रसायन एवं उर्वरक सचिव रजत कुमार मिश्रा और केंद्रिय रसायन उर्वरक राज्यमंत्री श्रीमति अनुप्रिया पटेल के नाम लिखे मांगपत्र में जताई है।
श्री दुबे ने बताया कि ऑल इंडिया एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनमोहन कलंत्री ने 3 बिंदूओं के मांगपत्र के जरिये शासन का ध्यान उर्वरक व्यापारियों की समस्याओं की ओर आकृष्ट कराया है। यह मांग अब देशव्यापी आंदोलन बन गई है और समूचे देशभर के संगठन से जुड़े पदाधिकारी अपने- अपने जिले से यह मांगपत्र भेज रहे है। श्री दुबे ने कृषि आदान विक्रेता संघ से जुड़े जिलाध्यक्ष से अपील करते हुए कहा है कि यह आंदोलन संगठन की एकता और शक्ति को दिखाने का अवसर है, सभी इस जायज मांग को शासन तक पहुंचाएं।

यह है मांगें –
श्री दुबे ने बताया कि पत्र के माध्यम से केन्द्र सरकार द्वारा काम्प्लेक्स उर्वरकों, डीएपी एवं एमओपी पर जो डीलर मार्जिन तय किया गया है वह प्रति बैग रुपए 20 से रुपए 22 तक होता है जबकि लोडिंग एवं अनलोडिंग ही रुपए 10 प्रति वेग तक हो जाती है ऐसी स्थिति में यह डीलर मार्जिन बहुत कम है इसे रिटेलर के लिए कम से कम 6 प्रतिशत एवं होलसेलर के लिए अलग से 2 प्रतिशत किया जाना चाहिए।
यूरिया में कुल डीलर मार्जिन 15.88 पैसा प्रति बैग तय किया गया है उसमें से 10 रुपए प्रति बैग लोडिंग एव अनलोडिंग में ही चला जाता है रिटेलर और होलसेलर के लिए अलग से तय नहीं किया गया है यूरिया में रिटेलर के लिए रुण् 23 प्रतिबैग एवं होलसेलर के लिए 7 रूपये प्रति बैग तय किया जाना चाहिए।
एक बॅग पर चालीस रुपये प्रति बॅग ट्रान्सपोर्टेशन चार्जेस अलग लगते है इस बारे में सभी कंपनियों को स्पष्ट रूप से निर्देश जारी किए जाने चाहिए एवं लगभग सभी उर्वरक कंपनिर्या द्वारा यूरिया एवं डीएपी के साथ विभिन्न प्रकार के अन्य उत्पाद टैगिंग करके जबरन दिए जाते हैं जो कि व्यापारियों के गोदाम में रह जाते हैं और व्यापारियों को नुकसान होता है, इस जबरन टैगिंग प्रथा को तत्काल बंद किया जाना अनिवार्य है। इन सब मुद्दों के बारे में देश के लगभग दो सौ से ज्यादा जिलों से अनुरोध पत्र केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय को भेजा जा चुके हैं लेकिन फिर भी इस बारे में कोई विचार विमर्श नहीं किया जा रहा है ना ही हमारे संगठन के साथ कोई मीटिंग आयोजित की गई है। इन सब मुद्दों पर संगठन के साथ अधिकारियों एवं कंपनी प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित की जानी अनिवार्य है।
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