हलधर किसान। डेयरी प्लस योजना के पशुपालकों दो मुर्रा भैंस उपलब्ध कराई जा रही है. इन दोनों भैंसों की कीमत दो लाख 50 हजार रुपये रखी गई है. अगर आप अनुसूचित जाति एवं जनजाति से ताल्लुक रखते हैं तो आपको 75 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के अलावा पशुपालन भी आमदनी का बढ़िया स्रोत है. पशुपालन व्यवसाय में किसान ज्यादा से ज्यादा दिलचस्पी लें इसके लिए सरकार भी अपने स्तर पर आर्थिक मदद करती है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने डेयरी प्लस योजना की शुरुआत की है. योजना की तहत किसानों को सब्सिडी पर दो मुर्रा भैंस उपलब्ध कराई जा रही है.
पायलट प्रॉजेक्ट पर शुरू हुई योजना
प्रदेश में दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए शिवराज सरकार ने डेयरी प्लस योजना पायलट प्रॉजेक्ट के तौर पर प्रदेश के तीन जिलों सीहोर, विदिशा और रायसेन में शुरू किया है. माना जा रहा है कि इस योजना के आने से किसानों की आमदनी में कई गुना इजाफा हो जाएगा।
भैंस खरीदने पर देनें होंगे इतने रुपये
योजना के अनुसार, सब्सिडी मिलने के बाद अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पशुपालकों को दो मुर्रा भैंस खरीदने के लिए सिर्फ 62 हजार 500 रुपये देने होंगे. वहीं, पिछड़ा वर्ग और सामान्य श्रेणी वालों को एक लाख 50 हजार रुपये में मुर्रा भैंस खरीद पाएंगे.
क्या है मुर्रा भैंस की खासियत?
आमतौर पर मुर्रा नस्ल की भैंस को उसकी दूध की अधिक मात्रा के लिए पहचाना जाता है. यह कई तरह से अन्य नस्लों की भैंस से अलग होती है. मुर्रा नस्ल की भैंस का वजन काफी अधिक होता है और आमतौर पर उसे हरियाणा, पंजाब जैसे इलाकों में काफी अधिक पाला जाता है. साथ ही, इन भैंसों की नस्लों का इस्तेमाल इटली, बुल्गारिया, मिस्त्र में भी डेयरी में किया जाता है, ताकि वहां पर डेयरी प्रोडक्शन को बेहतर बनाया जा सके.
ज्यादा दूध देना इस भैंस की सबसे बड़ी खासियत है. मुर्रा नस्ल की भैंस रोजाना 20 लीटर तक दूध दे सकती है. यह आमतौर पर अन्य नस्लों की भैंसों के मुकाबले दोगुनी मात्रा होती है. मुर्रा नस्ल की कई भैंस तो 30-35 लीटर तक दूध देने में सक्षम होती है.