2025 की पहली कैबिनेट बैठक में पीएम मोदी ने किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए

PM Modi took many important decisions for farmers in the first cabinet meeting of 2025

सरकार किसानों के कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है

हलधर किसान नई दिल्ली। 1 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यूनियन कैबिनेट की बैठक हुई। साल 2025 की पहली कैबिनेट बैठक किसानों को समर्पित रही। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवंटन बढ़ाया गया है।

फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2021-22 से लेकर वर्ष 2025-26 तक कुल 69,515.71 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी. इस निर्णय से 2025-26 तक देश भर के किसानों को नहीं रोके जा सकने योग्य प्राकृतिक आपदाओं से फसलों के जोखिम कवरेज में मदद मिलेगी.

विशेष पैकेज का विस्तार

यह देखते हुए कि सरकार किसानों के कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को जारी रखने और 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2025 तक एनबीएस सब्सिडी से परे डायमोनियम फॉस्फेट पर एकमुश्त विशेष पैकेज का विस्तार करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की सराहना की।उन्होंने कहा, “डाय-अमोनियम फॉस्फेट पर एकमुश्त विशेष पैकेज बढ़ाने के कैबिनेट के फैसले से हमारे किसानों को किफायती कीमतों पर डीएपी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।”

इसके अतिरिक्त, योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और दावा गणना एवं निपटान को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 824.77 करोड़ रुपये की राशि के साथ नवाचार एवं प्रौद्योगिकी कोष (एफआईएटी) के निर्माण को भी मंजूरी दी है।

इस निधि का उपयोग योजना के अंतर्गत प्रौद्योगिकीय पहलों, जैसे यस-टेक, विंड्स, के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास अध्ययनों के वित्तपोषण के लिए किया जाएगा।

प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए उपज अनुमान प्रणाली (YES-TECH) उपज अनुमान के लिए रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है, जिसमें प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमानों को न्यूनतम 30 प्रतिशत महत्व दिया जाता है। वर्तमान में नौ प्रमुख राज्य इसे लागू कर रहे हैं अर्थात आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु और कर्नाटक।

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