किसान एसडीपीएस पद्धति से कपास की बुवाई कर 12 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ ले रहे उत्पादन
हलधर किसान खरगोन :- गोगावां फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (एफपीओ) जो केवल 10 किसानों से शुरू हुई थी। आज मध्य प्रदेश में किसानों के लिए प्रगति और समृद्धि के नए आयाम स्थापित कर रही है। गोगांवा एफपीओ के लिए नाबार्ड भोपाल क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा वर्ष 2020 से 2023 के लिए 11.16 लाख रुपये ग्रांट प्रदान की गयी। व्यवसाय बढ़ाने के लिए 05 लाख रुपये की बिजनेस डेवलपमेंट असिस्टेंस दी गयी। बाद में एफपीओ के स्वयं गोडाउन के लिए 30 लाख रुपये वेयरहाउस सब्सिडी भी नाबार्ड द्वारा दी गई।
एफ़पीओ में व्यावसायिकता:-
एफ़पीओ में व्यावसायिकता बनाए रखने के लिए नाबार्ड द्वारा सदस्य संख्या, शेयर कैपिटल, टर्नओवर जैसे मापदंडो पर विशेष ध्यान दिया गया। एफपीओ को जिले के कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, बैंक इत्यादि से जोड़ा गया। आज गोगावां एफपीओ विशाल वट वृक्ष का आकार ले चुका है। अब किसानों को तकनीकी और वैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के साथ.साथ कृषि में नवाचार और विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है। कंपनी का खुद का 50 हजार क्विंटल क्षमता वाला वेयरहाउस किसानों के लिए एक अनमोल सुविधा साबित हो रहा है। कंपनी ने आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्य को पूरा करते हुए मध्य प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में कई अनूठे कदम उठाए हैं, जो राज्य के इतिहास में पहली बार हुआ।
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एसडीपीएस पद्धति का पहला सफल प्रयोग:-
एसडीपीएस पद्धति का पहला सफल प्रयोग खरगोन जिले में अपने किसानों के साथ किया। गोगावां एफपीओ ने एसडीपीएस पद्धति से कपास की बुवाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया, जिसके परिणामस्वरूप किसान 12 से 18 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। यह पद्धति, जिसे बाद में प्रदेश सरकार और कृषि वैज्ञानिकों ने एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अपनाया एवं जिले को इस कृषि विकास के पायलट प्रोजेक्ट में सम्मिलित किया। अब यह पूरे क्षेत्र में कृषि क्रांति का प्रतीक बन चुका है।
फसल बुआई के साथ तय होता है दाम:-
गोगावां एफपीओ ने किसानों की दो प्रमुख समस्याओं पर्याप्त बाजार की उपलब्धता और फसल मूल्य की अनिश्चितता का स्मार्ट समाधान प्रदान किया है। कंपनी बुवाई के समय ही किसानों को उनके फसल का मूल्य तय कर देती है। किसान अपनी पूरी फसल एफपीओ को उसी मूल्य पर वापस बेच सकें। यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को बाजार के उतार.चढ़ाव से बचने का सुरक्षा कवच मिलता है। कंपनी ने 11 प्रकार की फसलों पर काम शुरू किया है। जिसमें भिंडी, मूंग, ज्वार, चना, गवार, चवली, टमाटर, मिर्च, कॉटन, मक्का और स्वीट कॉर्न जैसे विकल्प शामिल हैं।
अब किसानों को मिट्टी, जल और बीज गुणवत्ता के परीक्षण की सुविधा भी उपलब्ध करवा रहा है।
गोगावां शहर में एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला एफपीओ को आवंटित की गई है, जहां किसान अपनी मिट्टी के साथ जल व बीज परीक्षण करवा सकते हैं। इस पहल के तहतए किसानों को ट्रेनिंग, बैंकिंग एवं लोन सुविधाएं और कृषि विशेषज्ञों द्वारा फसल के अनुरूप केमिकल कंपोजिशन भी उपलब्ध कराए जाएंगे। गोगावां एफपीओ का यह मॉडल किसानों की उन्नति, सुरक्षा और समृद्धि की दिशा में एक शानदार कदम है, जो नाबार्ड, कृषि विभाग, शासन और किसानों के निरंतर सहयोग से साकार हो रहा है।