हलधर किसान। बदलते पर्यावरण और खेती-किसानी में बढ़ते लागत के बीच कौन सी फसल उपजाई जाए, इस बात को लेकर किसानों के बीच चिंता का माहौल रहता है। हालांकि, किसानों की चिंता को दूर करने का एक शानदार ऑप्शन मोटे अनाज की खेती हो सकती है। मोटा अनाज यानी मिलेट की खेती यूं तो कोई नई बात नहीं है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2023 को मिलेट ईयर घोषित किए जाने के बाद इसकी चर्चा और डिमांड दोनों बढ़ी है। हैदराबाद स्थित भारतीय कदन्न (मोटा अनाज) अनुसंधान संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च- IIMR) एक अनुमान के मुताबिक भारत 170 लाख टन से अधिक मोटे अनाज का उत्पादन करता है। ये एशिया का 80 प्रतिशत और वैश्विक उत्पादन का 20 प्रतिशत है।
अफ्रीका में सबसे अधिक 489 लाख हेक्टेयर जमीन पर मोटे अनाज की खेती होती है। उत्पादन लगभग 423 लाख टन होता है। केंद्र सरकार के मुताबिक भारत मोटे अनाज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (138 लाख हेक्टेयर खेत में) है। ऐसे में किसानों को ये जानना चाहिए कि मोटे अनाज की खेती यानी मिलेट फार्मिंग में किस तरह के विकल्प हैं, जिन्हें अपनाकर आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है।
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक उपमहाद्वीप के कई इलाकों में बाजरे के उपयोग का प्रमाण यजुर्वेद में भी मिलता है। 1500 ईसा पूर्व भी बाजरा उगाए और खाए जाते थे। मोटा अनाज खाने वालों के बीच पॉपुलर बाजरे की वेराइटी में रागई, ज्वार और प्रियांगु अहम हैं।
भारत में अफ्रीकी बाजरे की खेती
ये काफी दिलचस्प है कि भारत मोटे अनाज, यानी मिलेट का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में पैदा होने वाला मिलेट वैश्विक उत्पादन का लगभग एक तिहाई है। भारत के अलावा चीन, नाइजर और नाइजीरिया बाजरा के अन्य प्रमुख उत्पादक देश हैं। पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में उगने वाली प्राकृतिक किस्म वाला बाजरा भारत में भी उपजाया जा रहा है। भारत ने इसे ओकाश्ना किस्म के रूप में विकसित किया है। डिमांड बढ़ने के कारण भारत में ओकाश्ना वेराइटी के बाजरे की उपज दोगुनी कर दी गई है।
APEDA के मुताबिक भारत में मिलेट की 8 वेराइटी
भारत से 38 देशों में भेजा जाने वाला जवार एक्सपोर्ट क्वालिटी के मामले में उत्साहजनक आंकड़े दिखाता है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक 2020-21 में 2.298 करोड़ से अधिक, जबकि 2021-22 में 7.408 करोड़ से अधिक का जवार एक्सपोर्ट किया गया। इंपोर्ट करने वाले टॉप तीन देश, सूडान, कनाडा और अमेरिका रहे। APEDA के मुताबिक मिलेट की 8 वेराइटी (APEDA Millet varities) इंडिया से बाहर भेजी जाती है। इनको पहचानने के लिए अलग-अलग एचएस कोड दिए जाते हैं।