हलधर किसान। बिहार में स्ट्रॉबेरी की खेती किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है। बेगूसराय के मंझौल गांव में युवा किसान एकलव्य स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। लंबी रिसर्च के बाद एकलव्य ऑस्ट्रेलियन ब्रीड की स्ट्रॉबेरी अपने खेतों में लगाई है। उन्होंने हिमाचल से खास किस्म के 1000 स्ट्रॉबेरी के पौधे मंगवाकर स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की है। बिहार के दूसरे जिलों में भी स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है। औरंगाबाद के किसान के मुताबिक खुदरा में 200 रुपये प्रति किलो और थोक बाजार में 300 रुपये प्रतिकिलो तक की कीमत मिल जाती है।
बेगूसराय में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे एकलव्य बताते हैं कि उन्होंने अपनी खेत में सभी पौधे ऑस्ट्रेलियन ब्रीड के लगाए हैं. उन्होंने खेती की शुरुआत के संबंध में बताया कि खेत की अच्छे से जुताई कराने के बाद उन्होंने हिमाचल से मंगवाए ऑस्ट्रेलियन ब्रीड की स्ट्रॉबेरी की रोपाई की।एकलव्य स्ट्रॉबेरी की खेती की बारीकियों के बारे में बताते हैं कि समय-समय पर धरती की नमी को ध्यान में रखकर सिंचाई करनी होती है। उन्होंने कहा कि नियमित और जरूरत के हिसाब से सिंचाई के बाद उनकी मेहनत रंग लाई। खेत में रोपी गई स्ट्रॉबेरी में फल आने शुरू हो गए.
आमतौर पर स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए ठंडे प्रदेश अच्छे माने जाते हैं, लेकिन इसके लिए अनुकूल भूमि और वातावरण बनाना कठिन नहीं है। उन्होंने कहा कि बेगूसराय में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उन्होंने मौसम का आकलन किया, तकनीक का सहारा लिया और यूट्यूब की मदद से स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ी जानकारी जुटाई।
युवा स्ट्रॉबेरी फार्मर एकलव्य बताते हैं कि खेती के लिए उन्होंने उन लोगों से भी संपर्क किया, जो लंबे समय से स्ट्रॉबेरी की खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ी रिसर्च के दौरान उनके फूफा कुमार शैलैंद्र प्रियदर्शी ने अहम भूमिका निभाई। शैलेंद्र जियोलॉजी के प्रोफेसर हैं। उनके मार्गदर्शन में एकलव्य बेगूसराय की मिट्टी में स्ट्रॉबेरी की सफल खेती कर रहे हैं।
उत्पादन बढ़ाने पर बेचना मुश्किल, सरकार करे मदद
चुनौतियों के बारे में बृजकिशोर बताते हैं कि पटना के व्यापारियों ने शुरू में उनसे स्ट्रॉबेरी खरीदी, लेकिन उत्पादन बढ़ाने पर बेचना मुश्किल हो गया। किसानों को बिहार के बाहर बाजारों की तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बकौल बृजकिशोर, स्थानीय स्तर पर स्ट्रॉबेरी 200 रुपये प्रति किलो और थोक व्यापारियों को 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं।