2025-26 तक कोयला आयात रोकने के सभी प्रयास जारी
2030 तक भूमिगत खदानों से 100 मिलियन टन उत्पादन पर जोर: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी
कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी का 8वां चरण शुरू किया
झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार की 39 खदानों की नीलामी होनी है
हलधर किसान। कोयला मंत्रालय ने यहां वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया के आठवें चरण की शुरुआत कर दी है। कुल 39 कोयला खदानें ऑफर पर हैं। वर्चुअल तौर पर नीलामी का शुभारंभ करते हुए केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि 2025.26 तक कोयला आयात को रोकने के लिए सभी प्रयास जारी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक का इस्तेमाल करके भूमिगत खदानों से कोयला उत्पादन को 2030 तक 100 मिलियन टन तक बढ़ाया जाएगा।
नीलाम की जा रही खदानें कोयला उत्पादक राज्यों झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार में फैली हुई हैं। ये खदानें सीएमएसपी एक्ट और एमएमडीआर एक्ट के अंतर्गत आती हैं। 39 कोयला खदानों में से, चार खदानों को सीएमएसपी/ एमएमडीआर अधिनियम के तहत 7वें चरण के दूसरे प्रयास के तहत ऑफर किया जा रहा है, जहां पहले प्रयास में एकल बोली प्राप्त हुई थी। 8वें चरण के तहत पेश की जा रही 35 कोयला खदानों में से 16 कोयला खदानें नई हैं और 19 खदानें पहले की किश्तों से ली जा रही हैं।
कोयला मंत्रालय ने यह सुनिश्चित करने के लिए कई सुधार किए हैं कि कोयला क्षेत्र तीव्र गति से बढ़े और देश की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने में सक्षम हो।
8वें दौर के लिए भी, संरक्षित क्षेत्रों, वन्यजीव अभयारण्यों, महत्वपूर्ण आवासोंए 40 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र, भारी निर्मित क्षेत्र आदि के अंतर्गत आने वाली खदानों को बाहर रखा गया है। कुछ कोयला खदानों की ब्लॉक सीमाएं जहां घनी आबादीए उच्च हरित आवरण या महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा आदि मौजूद था, कोयला खदान के प्रारंभिक विकास के लिए संशोधित किया गया है।
कोयला मंत्रालय के सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि कैप्टिव/ वाणिज्यिक कोयला खदानें समग्र उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि 39 खदानों को नीलामी के लिए पेश करने से पहले व्यवस्थित सर्वेक्षण किया गया है। खदानों से कोयले की त्वरित निकासी के लिए रेल कनेक्टिविटी को बढ़ाया और बढ़ाया जा रहा है।
इससे पहले, मेहमानों और संभावित बोलीदाताओं का स्वागत करते हुए मंत्रालय के अपर सचिव और नामित प्राधिकारी एम नागराजू ने घरेलू कोयला उत्पादन को और बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मंत्रालय द्वारा हाल ही में सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की गई है। आने वाले दशकों में घरेलू कोयले की मांग भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा, इसलिए कोयला क्षेत्र में निवेश से अच्छा रिटर्न मिलता है।