हलधर किसान, खरगोन। कहते है कि एक पीढ़ी के बाद निश्चित ही बदलाव की शुरुआत होती है। ऐसे ही बदलाव का आगाज कसरावद जनपद के टिगरिया गांव के रवि पाल ने किया। जिस की पूरा परिवार आज सराहना कर रहा है। एग्रीकल्चर में छत्तीसगढ़ से डिप्लोमा करने वाले रवि ने शुरुआत से ही उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन और योजना के सहयोग से उद्यानिकी फसलों की शुरुआत करते हुए पहले खरबूजे और तरबूज से शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने केले और पपीते के साथ प्रयोग किया। जो आज उनके लिए बड़े फायदेमंद साबित हो रहे है।
पारम्परिक खेती छोडऩे के बाद पूरी तरह उद्यानिकी फसलों की खेती से अच्छा मुनाफा होने लगा तो परिवार के लोगों ने सहयोग दिया। केले और पपीते निमरानी औद्योगिक नगर की कंपनी ने एक्सपोर्ट करने से उनको सहूलियत होने लगी। खरबूजे और तरबूज निमाड़ सहित उज्जैन ने व्यापारियों की दिलचस्पी से उनका काम आसान कर दिया। अब हाथों हाथ अच्छे दाम के साथ फल बिक जाते हैं। पारम्परिक खेती की तुलना में फलों की खेती से अच्छा मुनाफा होने लगा है। उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक केके गहरवाल ने बताया कि पहले तो उन्हें पीएमकेएसवाय से 2015.16 में 0.800 हेक्टेर में ड्रिप सिंचाई में 56000 रुपये का अनुदान दिया। फिर निरंतर विभाग के संपर्क में आने पर मार्गदर्शन दिया गया। आज 2.500 एकड़ में खरबूज और इतने ही रकबे में तरबूज के साथ 2.500 एकड़ में केला और पपीता लगा है।