कम लागत वाली फसल लगाकर कमाया भरपूर मुनाफा
हलधर किसान । बिस्टान क्षेत्र में सेजला के किसान नेपालसिंह चौहान ने अपनी जमीन की कमजोरी को ताकत मानकर खेती करते हुए लगातार मुनाफा ले रहे हैं। एक तो उनके पास 4 एकड़ भूमि वो भी कंकड़, पत्थर से भरी हुई। ऊपर से पानी की भी कमी। फिर भी उन्होंने ऐसे हालात में खेती नहीं छोड़ी और लागत से अधिक मुनाफा लिया है। नेपालसिंह बताते है कि ऐसी भूमि होने के बावजूद वो करीब करीब 7 वर्षांे से आधी भूमि में अरंडी और बाकी की भूमि में मक्का, गेंहू और कुछ सब्जियों के साथ खेती कर रहे हैं। इस बार 2 एकड़ में 12 क्विंटल अरंडी उपजा चुके हैं जबकि अभी फल आये हुए हैं। इससे पहले 2021-2022 में उन्होंने 20 क्विंटल तक अरंडी उपजाई है। वो बताते हैं जबकि इसमें लागत कुछ भी नहीं।
40 हजार रुपये के अनुदान पर ट्यूबवेल मिला
पारम्परिक खेती करने वाले नेपालसिंह को कृषि विभाग से नलकूप योजना में 8 वर्ष पर अनुदान पर ट्यूबवेल मिला था। लेकिन पानी कम होने से पूरा प्रबंधन योजना के साथ करते हैं। नेपालसिंह ने कहा कि ग्राम सेवक ने आज से करीब 7-8 वर्ष पूर्व ट्यूबवेल की योजना के बारे में बताया था। नलकूप खनन योजना में प्रकरण बनाया और ट्यूबवेल से कुछ हद तक पानी की जुगाड़ तो हो गई लेकिन पर्याप्त नहीं होने के कारण वे दोनों सीजन में अरंडी की खेती करते हैं। उनका कहना है कि मजदूरी से अच्छा तो अपने ही खेत में खेती करना। अरंडी से हर बार उनको लागत से अधिक मुनाफा होता है।
दुनिया में सबसे अधिक अरंडी का उत्पादन भारत में
अरंडी के तेल का कई मायनों में महत्वपूर्ण उपयोग होता है। साथ ही इससे बनी खली का उपयोग जैविक खाद के तौर पर भी किया जाता है। हमारे देश मंे गुजरात और हरियाणा में प्रमुखता से इसकी खेती की जाती है। अखाद्य तिलहनी फसलों में इसमें सबसे कम लागत और मुनाफा डेढ़ गुना होता है। भारत विश्व मे सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है। अरंडी का उपयोग साबून के अलावा पेंट, पॉलीमर, नायलॉन, रबर, केमिकल, सरफेस कोटिंग, टेलीकॉम, इंजीनियरिंग प्लास्टिक आदि में होता है।