7 साल, 10 करोड़ पेड़… गौतम अडानी ने जलवायु परिवर्तन की दिशा में किया बड़ा संकल्प, अब तक 3 करोड़ पेड़ लगा चुका है समूह

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हलधर किसान। दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच में गौतम अडानी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए आने वाले वर्ष 2030 तक उनकी संस्था 100 मिलियन पेड़ लगाने जा रही है.इस ग्रुप ने विश्व आर्थिक मंच के ट्रिलियन ट्रीज प्लेटफॉर्म 1t.org पर साल 2030 तक 100 मिलियन यानी 10 करोड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया है।
यह संयुक्त राष्ट्र के द्वारा निर्धारित प्रकृति के पारिस्थितिक तंत्र की बहाली और उसके अनुकूलता का समाधान करेगा. पिछले तीन वर्षों में इसके अन्तर्गच कुल 80 कंपनियाँ जुड़ी हैं, जो दुनिया भर में वृक्षारोपण अभियान लिए इसके साथ गठजोड़ किया है. इसके मुख्य देशों में अमेरिका, अमेज़ॅन बेसिन, ग्रेट ग्रीन वॉल और भारत शामिल हैं.

जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक समस्या है. इस खतरे को कम करने के लिए हर देश के उद्योगपति कुछ न कुछ पहल कर रहें हैं. इस दौरान दावोस में हो रहे विश्व आर्थिक मंच में अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी ने कहा कि COP 21 के द्वारा निर्धारित लक्ष्य 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बन सिंक बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता के तहत हमारा अडानी समूह आने वाले वर्ष 2030 तक 100 मिलियन पेड़ लगाएगा. उन्होंने बताया कि अब तक अडानी समूह ने कई परियोजनाओं के तहत 29.52 मिलियन पेड़ लगाए हैं, जिसमें सबसे ज्याद मैंग्रोव के वृक्ष शामिल हैं. जो हमारे तटीय क्षेत्रों को स्थिर रखता है. हमारा 2030 तक 37.10 मिलियन और मैंग्रोव के पेड़ लगाने का लक्ष्य है.
कंपनी का लक्ष्य देश में हो रहे जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करना और बिगड़ती हुई जैव विविधता को रोकना है. हमारी संस्था कम कार्बन को कार्बन न्यूट्रल में बदलने में प्रयासरत है और धीरे-धीरे इसे हमको शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचाना है.

हमारी संस्था का लक्ष्य एग्रोफोरेस्ट्री, मैंग्रोव रिस्टोरेशन और अर्बन ट्री प्लानिंग के क्षेत्र में है. हमारी कंपनी कॉर्पोरेट एग्री सस्टेनेबिलिटी के साथ साझेदार है जो निकाय द्वारा जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्यों की निगरानी करेगी. इन तीन मुख्य लक्ष्यों के साथ-साथ नर्सरी और बीजों का विकास, वन प्रबंधन, शिक्षा, सामुदायिक गतिशीलता, डेटा संग्रह और प्रबंधन आदि में संस्था की भागेदारी रहेगी.मैंग्रोव और स्थलीय पेड़ों के नए वृक्षारोपण का लेखा -जोखा रिमोट सेंसिंग, ड्रोन और उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह इमेजरी के साथ-साथ आईओटी सेंसर के द्वारा निगरानी रखी जाएगी. जिसकी कुल 282 साइटें 21 राज्यों में फैली हुई हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना , उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को चिन्हित किया गया है.

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